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न्यायालय ने कश्मीर में गैर-मुस्लिमों के दर्जे पर केंद्र से जवाब मांगा

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नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर में गैर मुस्लिमों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने संबंधी एक याचिका पर फैसला लेने के लिए मंगलवार को केंद्र को तीन महीने का समय दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल और न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने केंद्र को इस मुद्दे पर फैसला लेने के लिए अंतिम मौका दिया। अदालत ने सरकार की इस गुजारिश पर यह फैसला सुनाया कि उसे इस मामले में राज्य सरकार और अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श करने के लिए आठ सप्ताह के समय की जरूरत है।

अदालत अधिवक्ता अंकुर शर्मा द्वारा दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि राज्य के बहुसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिमों को अल्पसंख्यकों के लिए बनी केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं उठाने दिया जाना चाहिए।

शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य में मुस्लिम कुल आबादी का 68 प्रतिशत हैं और इस प्रकार वे राज्य में ‘अल्पसंख्यक’ नहीं हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15 सूत्री दिशानिर्देश के तहत मिलने वाले लाभ राज्य के बहुसंख्यक वर्ग को नहीं दिए जाने चाहिए।

शर्मा ने अदालत को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर में कोई राज्य अल्पसंख्यक आयोग नहीं है।

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सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव

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नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।

केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।

नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।

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