नेशनल
पति का शव गांव में छोड़ बांग्लादेश भाग आई नसीमा
नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)| म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या समुदाय के लोगों पर सेना के हमले की कार्रवाई ने हजारों रोहिंग्या परिवारों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया है।
जाति विशेष के खिलाफ हो रही इस हिंसा से कई लोग अपनों से बिछड़ चुके हैं तो कुछ सरहदों पर अभी भी उनके मिलने की आस लगाए बैठे हैं। ऐसी ही एक रोहिग्या मुस्लिम महिला है जिसे हिंसा के दौरान गांव में ही अपने पति के शव को छोड़कर भागना पड़ा। इस रोहिंग्या मुस्लिम महिला का नाम है नसीमा खातून (60) जो कि म्यांमार के रखाइन राज्य की रहने वाली है, शहर में हिंसा फैलने के बाद खातून एक हफ्ते पहले ही परिवार समेत वहां से भाग निकली थी।
अलजजीरा के मुताबिक, नसीमा ने कहा, हम संकट से पहले एक शांत जिंदगी जी रहे थे, पति मछुआरे थे और हमारी तीन बेटियां थी। रोहिंग्या लोगों पर सेना का दबाव तो था लेकिन हमें भोजन या फिर रहने की किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा था।
नसीमा ने कहा, संकट तब शुरू हुआ जब सेना ने हमारे गांव में हमला कर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया, जिसके बाद हम सभी लोग अलग-अलग दिशाओं में भागने लगे। मैं जंगल में भागकर छुप गई लेकिन तभी किसी ने मुझसे आकर कहा कि मेरे पति को गोली मार दी गई है। तब मैं अपने आप को असहाय और डरी हुई महसूस करने लगी।
उसने कहा, सेना ने हमला कर गांव पर कब्जा कर लिया था, जिसके कारण मैं वापस गांव नहीं जा सकी और मुझे पति के शव को मजबूरन वहीं पर छोड़ कर बांग्लादेश भागना पड़ा।
नसिमा ने कहा, पति के शव को गांव में छोड़कर मैं अपनी बेटियों और कुछ पड़ोसियों के साथ बांग्लदेश भाग निकली। हम अपने साथ कुछ भी नहीं ला सके, खाने-पीने का सामान हमने रास्ते से ही जुटाया। हम लोग काफी दिनों से भूखे थे। एक दिन हम एक दुकान के पास से गुजर रहे थे जिसे हमारे लोगों ने लूट लिया तो हमें वहां कुछ खाने का सामना दिखा, जिसे हमने ले लिया। 10 दिनों के सफर के बाद हमने वास्तव में कुछ खाया था।
उसने कहा, मैं पूरे रास्ते रोती रही। मेरे पड़ोसियों ने मुझ पर दया कर बांग्लादेश जाने वाली नाव का किराया दिया। मैं म्यांमार छोड़ने को लेकर काफी दुखी थी, मैंने अपने पति, घर, जमीन और अपना सब कुछ उस हिसा में खो दिया।
उसने कहा, बांग्लादेश में शरण लेने के बाद हमने यहां एक अस्थायी शिविर की व्यवस्था की जिसमें बांग्लादेश के स्थानीय लोगों ने हमारी मदद की, भोजन देकर हमारी सहायता की। लेकिन हमारे पास पैसे कमाने का कोई मौका नहीं है, न ही हमारे लिए यहां कोई काम है। जब हमारे पास पैसे ही नहीं होंगे तो हम कैसे अपना भविष्य यहां बिता सकते हैं?
नसीमा ने कहा, हम सभी लोग म्यांमार वापस जाना चाहते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब ऐसा हो पाएगा। म्यांमार हमारे लिए फिर कभी सुरक्षित नहीं होगा। मेरा मानना है कि हम दोबारा वहां वापस जाते हैं तो हमारा फिर से उत्पीड़न होगा या हम मारे जाएंगे। पूरी दुनिया हमारी स्थिति देख रही है। मेरा सबसे निवेदन है वह हमारे लिए सहानुभूति प्रदान करें।
ज्ञात हो कि म्यांमार सेना ने रखाइन राज्य में रोहिग्या आबादी पर हमला कर दिया था जिसके फलस्वरूप चार लाख से ज्यादा रोहिंग्या घर छोड़कर बांग्लादेश भाग गए, इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
सेना के इस हमले पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने आंग सान सू और उनकी सरकार पर इस जातिगत हिंसा को खत्म करने के लिए दबाव भी डाला है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों के प्रमुख जिद राय अल-हुसैन ने 11 सितंबर को इस हमले पर कटाक्ष करते हुए कहा था, हालात जातीय सफाये का एक जीता-जागता उदाहरण है।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात
नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।
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