नेशनल
पानी पर कब्जे की उद्योगपतियों की कोशिश : राजेद्र
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)| पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह ने मंगलवार को यहां कहा कि देश के बड़े हिस्से में जल संकट आम है, जो जल संरक्षण का काम योजनाबद्ध तरीके से न होने के कारण है। उन्होंने कहा कि एक तरफ लोग जल संकट से त्रस्त है, तो दूसरी तरफ पानी पर उद्योगपति कब्जा करने की कोशिश में लगे हैं। यहां वूमेन प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राजेंद्र ने ‘जल अधिकार सुरक्षा विधेयक 2017’ का प्रारूप जारी करते हुए कहा कि समाज में जल संरक्षण, संवर्धन के साथ बर्बादी को रोकना होगा।
उन्होंने कहा, बीते पांच वर्षो से जल जन जोड़ो अभियान देश के लोगों में जल के प्रति जागृति लाने की कोशिशें कर रहा है। भारत के सभी इलाकों में 200 से अधिक बैठकें, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, जन चौपालों में चर्चा करके भारत में जल संकट के स्थाई समाधान पर चर्चा की। इसके बाद ‘जल अधिकार सुरक्षा विधेयक 2017 प्रारूप’ बनाया गया है। यह प्रारूप भारत में आमजन को पानी का प्रजातांत्रिक अधिकार देता है। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा के साथ स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता का अधिकार व दायित्व बोध दोनों कराता है। विधेयल में जल संरचनाओं के चिह्नांकन, सीमांकन एवं अधिसूचना पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा, जल संरचनाओं का तात्पर्य पारिस्थिकीय जैविक व जल विज्ञान संबंधी अखंडता के संरक्षण से है, जल संरचनाओं के विनाश से संबंध जल विज्ञान की अखंडता को विनष्ट करने से है। इस प्रारूप में जल संरक्षण, संवर्धन और वितरण की जिम्मेदारी के लिए स्थानीय निकायों की भूमिका तय की गई है। जल के संबन्ध में सामजिक अंकेक्षण पद्धतियों को बढ़ावा देने की बात कही गई है। भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन को नियंत्रित करने का प्रावधान किया गया है। जल स्त्रोतों की परिभाषाएं निश्चित की गई हैं।
उन्होंने कहा, इस बात को समझना होगा कि बड़े उद्योगपति पानी पर अपना कब्जा करना चाहते है। इसके लिए वे सरकारों पर दवाब बनाते हैं, कई बार सरकारें दवाब में आ भी जाती हैं। कई स्थानों पर उद्योग के लिए पानी की जरूरत बताकर नदियों का शोषण हो रहा है, बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियां सबसे ज्यादा पानी का दोहन कर रही हैं। दूसरी ओर प्रदूषित पानी को नदियों में छोड़ा जाता है। इसके अलावा विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे है, जिससे बारिश की औसत दर भी कम होती जा रही है, लिहाजा भूजल स्तर नीचे गिरता जा रहा है।
उन्होंने राजनीतिक दलों पर सवाल उठाते हुए कहा, सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि देश और प्रदेश के राजनीतिक दलों के लिए जल संकट कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, वे अपने चुनावी घोषणा-पत्र तक में इसे जोड़ने को तैयार नहीं होते। जल-जन जोड़ो अभियान के प्रयासों से कई दलों ने जल सुरक्षा कानून बनाने का अपने घोषणा-पत्रों में वादा किया था।
नेशनल
सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।
केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।
Minister @AshwiniVaishnaw replies to the questions asked by member @arungovil12 during #QuestionHour in #LokSabha regarding Laws to Check Vulgar Content on Social Media. @ombirlakota @loksabhaspeaker @LokSabhaSectt @MIB_India pic.twitter.com/xu6wEzGNy1
— SansadTV (@sansad_tv) November 27, 2024
नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।
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