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पीडीपी को तोड़ने के गंभीर परिणाम होंगे : महबूबा
नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य में भाजपा द्वारा पीडीपी को तोड़ने का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा। पीडीपी प्रमुख ने इंडिया टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, अगर दिल्ली हस्तक्षेप करती है, हमारी पार्टी को तोड़ती है और सज्जाद लोन या किसी को भी मुख्यमंत्री बनाती है तो इससे कश्मीरियों का भारतीय लोकतंत्र में विश्वास समाप्त हो जाएगा। दिल्ली द्वारा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया जाएगा।
हालांकि भाजपा महासचिव राम माधव ने जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के असंतुष्ट विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया। यहां 19 जून से राज्यपाल शासन लागू है।
माधव ने ट्वीट किया, हम राज्य में शांति, सुशासन और विकास के हित में राज्यपाल शासन लागू रहने देने के पक्ष में हैं।
माधव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और इसके सहयोगी, पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन का पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी में एक राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर इसके बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
पीडीपी के कम से कम पांच विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दिया था।
87 सदस्यीय जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी सदस्यों के जादुई आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं।
सदन में, पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और इसे पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है।
यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।
अपने साक्षात्कार में, मुफ्ती ने इन रपटों को आधारहीन बताया, जिसमें उनके पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की बात कही गई है।
उन्होंने कहा, अगर ऐसा होता तो मैं इस्तीफा क्यों देती? जब हमारी सरकार गिरी, राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अन्य विकल्पों की ओर देख रही हूं और मैंने उनसे कहा कि मैं एक घंटे में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपूंगी।
महबूबा ने कहा, पीडीपी दो वर्ष पहले कांग्रेस के साथ सरकार बना सकती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और एक महान उद्देश्य के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाई, जिसका सपना मेरे पिता ने देखा था।
प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान के साथ शांति की कोशिश और उसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से पठानकोट और उरी जैसी घटनाएं अंजाम देने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कहती हूं कि मोदीजी ने प्रयास नहीं किया, लेकिन इसमें निरंतरता होनी चाहिए। हमने मोदीजी को श्रीनगर आने का निमंत्रण दिया, जहां उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया।
उन्होंने कहा, घाटी के लोगों को बहुत उम्मीदें थी, लेकिन वे निराश होकर अपने घर गए।
समस्याओं का सामना करने के लिए मोदी के 56 इंच के सीने के दावे को याद करते हुए मुफ्ती ने कहा, उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अपने 56 इंच के सीने में से कम से कम एक इंच भी देना चाहिए था। भारत का विचार, जम्मू एवं कश्मीर के विचार के बिना अधूरा है।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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