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प्रादेशिक

बिहार को आम बजट से ‘अच्छे’ दिनों की आस

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पटना | देश में लंबे अर्से के बाद एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार इस साल अपना आम बजट पेश करेगी। ऐसे में बिहार के लोगों में भी ‘अच्छे’ दिन आने की आस जगी है। आम बजट किसी भी सरकार की आर्थिक नीतियों का आइना होता है। लोगों को उम्मीद है कि इस साल का केंद्रीय बजट बहुत से मामलों में लीक से हटकर होगा।

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष क़े पी़ झुनझुनवाला का कहना है कि बिहार को विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर करने के लिए विशेष सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे बिहार के योजना आकार पर भी असर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में बजट में बिहार के लिए विशेष प्रावधान की उम्मीद की जानी चाहिए।” उन्होंने कहा कि बिहार में उद्योग लगाने के लिए आने वाले उद्योगपितयों को भी करों में छूट मिलनी चाहिए। इधर, दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रामभरत ठाकुर का मानना है कि आने वाले बजट से नौकरीपेशा वर्ग को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश के लिए 20 हजार रुपये छूट का प्रावधन किया गया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया है। इसे लागू करने से नौकरीपेशा वर्ग निवेश को तैयार होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अब लोग चाहते हैं कि सरकार लोक-लुभावन वादों से आगे निकलकर कुछ ठोस फैसलों का एलान करे। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुदरा एवं थोक महंगाई में कमी आने के बावजूद खाद्य महंगाई अब भी बहुत ज्यादा बनी हुई है। इसलिए आयकर में छूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा सावधि जमा और सार्वजनिक भविष्य निधि के जरिए बचत कर पर छूट की सीमा बढ़ाकर घरेलू बचत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि जब तक राज्यों का विकास नहीं होगा, तब तक देश का विकास नहीं हो सकता। चौधरी का कहना है कि बिहार के विकास के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए जाने की जरूरत है। बिहार में जल प्रबंधन (सिंचाई के साधन और बाढ़ की समस्या दूर करने) और करों में छूट देकर विकास की गति को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी बिहार को मदद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार केन्द्रीय योजनाओं के तहत मिल रहे अनुदानों में कटौती किए बिना किए 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा को लागू करे। इससे बिहार ही नहीं, सभी पिछड़े राज्यों का भला होगा।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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