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नेशनल

‘बेहतर ब्रांडिंग, स्टाइल पोजिशनिंग से कपड़ा उद्योग को मिलेगी गति’

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गांधीनगर, 2 जुलाई (आईएएनएस)| कपड़ा उद्योग के जानकारों का कहना है कि भारतीय कपड़ा उद्योग की मौजूदा विकास दर को दोगुना किया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए इस उद्योग में स्ट्रैटजिक ब्रािंडंग और स्टाइल पोजिशनिंग पर जोर दिया।

‘टेक्सटाइल इंडिया-2017’ के दूसरे दिन शनिवार को प्रतिभागियों ने कपड़ा उद्योग के भविष्य, रंग, डिजाइन पर बात की। उनकी चर्चा में भारत की परंपरागत हाथ से बुनी जाने वाली कालीन के उद्योग और आदिवासी बुनकरों के भविष्य का मुद्दा भी छाया रहा।

पेक्लर्स पेरिस के वर्ल्डवाइड सीईओ एरिक डूचैंप ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग में अपने विकास की मौजूदा दर को दोगुना करने की क्षमता है।

उन्होंने कहा, भारत को कपड़ा उद्योग में स्ट्रैटजिक ब्रांडिंग और स्टाइल पोजिशनिंग पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

न्यू जर्सी स्थित फैशन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के अजोय सरकार ने कहा कि जूट और सिल्क जैसे भारत के परंपरागत फाइबर को प्रौद्योगिकी की मदद से उन्नत किया जा सकता है।

रेमंड ग्रुप (अपेरल) के अध्यक्ष गौरव महाजन ने कहा, ब्रांडिंग और कुछ नहीं बल्कि गुणवत्ता का भरोसा है और एक ब्रांड का सब कुछ उसकी व्यावहारिकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि गुणवत्ता के भरोसे, उपलब्धता और पहुंच को प्राथमिकता बनाया जाए और इस पर काम किया जाए।

हाथ से बुनी कालीनों पर एक सत्र में प्रतिभागियों ने इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया कि विदेशी बाजार में भारत की हाथ से बुनी कालीनों की व्यापक मांग है।

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन एम.पी.शर्मा ने कहा, आनलाइन बाजार के उभार के बाद, हाथ से बुनी कालीनों का उद्योग इसे अपनी ब्रांडिंग, विपणन और संवर्धन के लिए इस्तेमाल कर सकता है, खासकर विदेशी बाजार के लिए।

आदिवासी बुनकरों द्वारा की जाने वाली बुनाई पर हुए एक सत्र में इस बुनाई की विशिष्टता का जिक्र किया गया और बताया गया कि कैसे यह देश के अन्य हिस्सों में पाई जाने वाली परंपरागत बुनाई से भिन्न है।

असम के रेशम उत्पादन, कपड़ा विभाग सचिव व आयुक्त मुक्ति गोगोई ने कहा, आदिवासी बेहद अच्छे बुनकर होते हैं, लेकिन थोड़ा अलग-थलग रहने के कारण वे परंपरागत डिजाइनों को तैयार नहीं करते।

विशेषज्ञों ने भारत के कॉटन सेक्टर में पाए जाने वाले मौजूदा और भावी रुझानों पर भी बात की।

उनका कहना था कि भारत बहुत अच्छी गुणवत्ता का कॉटन पैदा करता है लेकिन कुछ सम्मिश्रणों के कारण इन्हें कम कीमत में बेचा जाता है। इसलिए सम्मिश्रणों के स्तर को कम किए जाने की जरूरत है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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