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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया हमें निशाना न बनाएं : चीन

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बीजिंग, 13 नवंबर (आईएएनएस)| चीन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया को चाहिए कि वे उसे अपना निशाना नहीं बनाएं और अमेरिकी पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल प्रासंगिक पक्षों को इससे दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

चीन की इस टिप्पणी से एक दिन पहले इन चारों देशों के नेताओं ने मनीला में दक्षिण एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के शिखर सम्मेलन से अलग मुलाकात कर मुक्त, खुले, समृद्ध और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करने का फैसला किया था।

चीन ने कहा कि अमेरिका की पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल मुद्दे के राजनीतिकरण और प्रासंगिक पक्षों को इससे दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिंग शुआंग ने कहा, प्रस्ताव खुला और समावेशी होना चाहिए, सभी के लिए हितकर सहयोग के अनुकूल होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने या कुछ प्रासंगिक पक्षों को अलग-थलग करने से बचना चाहिए।

गेंग के अनुसार, चीन की सुदृढ़ विदेशी नीति के तहत हम संबंधित देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग के विकास का स्वागत करते हैं और हमें उम्मीद है कि इस तरह के संबंध किसी भी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं। हम आशा करते हैं कि यह संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल होंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंद महासागर में भारत को शामिल करने के स्पष्ट संकेत के रूप में ‘हिंद-प्रशांत’ शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया की मदद से चीन पर नियंत्रण बनाना चाहता है।

गेंग ने कहा, शांति, विकास और द्विपक्षीय सहयोग समय की प्रवृत्ति है। मुझे लगता है कि किसी भी देश या क्षेत्र में विकास को समय के रुझान और दुनिया की प्रवृत्ति के अनुरूप होना चाहिए।

गेंग ने कहा, मुझे लगता है कि सभी संबंधित पक्ष देशों और क्षेत्रों के बीच के सहयोग को विकसित करने के लिए अपने ष्टिकोण और प्रस्ताव को आगे बढ़ा सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस तरह के प्रस्ताव और ष्टिकोण प्रवृत्ति के अनुरूप और दुनिया के रुझान के अनुरूप हो सकते हैं।

रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन के इतर पहली बार चार देशों के प्रतिनिधियों ने एक साथ मुलाकात की थी।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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