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मुख्य समाचार

भारत ने मालदीव की राजनीतिक स्थिति पर निराशा जताई

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नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)| भारत ने गुरुवार को मालदीव की राजनीतिक स्थिति पर निराशा जताई है।, जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति मैमून अब्दुल गयूम और सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद को कारावास की लंबी सजा सुनाई गई है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, मालदीव में राजनीतिक संकट के बाद फरवरी में आपातकाल लागू किया गया, जिसके बाद से ही भारत लगातार मालदीव को ‘सर्वोच्च न्यायालय और संसद समेत सभी संस्थानों को मुक्त और स्वतंत्र तरीके’ से काम और सभी राजनीतिक पार्टियों के बीच वास्तविक राजनीतिक वार्ता’ करने देने की मांग कर रहा है।

बयान के अनुसार, बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी यही मांग रही है।

बयान के अनुसार, इसलिए हमें बहुत निराशा हुई कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को बिना ‘निष्पक्ष ट्रायल’ के कारावास की लंबी सजा दी गई।

बयान के अनुसार, इससे कानून का शासन बनाए रखने के लिए मालदीव सरकार की प्रतिबद्धता और इस वर्ष सितंबर में राष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया की विश्वसनियता पर संदेह उत्पन्न होता है।

बयान के अनुसार, भारत विश्वास करता है कि लोकतांत्रिक, स्थिर और समृद्ध मालदीव सभी पड़ोसियों के हित में है।

मालदीव की एक अदालत ने बुधवार को पुलिस जांच में सहयोग नहीं करने पर गयूम को 19 महीने की कारावास की सजा सुनाई। गयूम पर सरकार को अपदस्थ करने का प्रयास करने का आरोप है।

राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम के शासन में गयूम (80) दूसरे पूर्व राष्ट्रपति हैं, जिन्हें कारावास की सजा सुनाई गई है। गयूम वर्ष 1978 से 2008 तक देश के राष्ट्रपति थे।

अदालत ने गयूम को अपने मोबाइल फोन जांचकर्ताओं को देने में विफल रहने पर एक वर्ष, सात महीने और छह दिन की कारावास की सजा सुनाई। गयूम के साथ गिरफ्तार किए गए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद को भी इसी अपराध के लिए समान सजा सुनाई गई।

सईद को निचली अदालत के फैसले को कथित रूप से प्रभावित करने के लिए पहले भी इसी तरह की सजा सुनाई गई थी।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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