नेशनल
भारत में प्रेस की आजादी की सख्त जरूरत
एक आजाद देश के रूप में भारत की स्थापना के बाद से ही, देश में प्रेस की स्वतंत्रता मजबूत हुई है और इसने भारतीय लोकतंत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लेकिन, दुर्भाग्यवश हाल के दौर में भारत में प्रेस की आजादी खतरे में दिखाई दे रही है।
इस वर्ष सितंबर में अलग-अलग घटनाओं में एक जानीमानी पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश और टेलीविजन पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या कर दी गई। न्यूयॉर्क के गैर सरकारी संगठन, ‘कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ के मुताबिक, पिछले 25 वर्षो में 41 वाकये सामने आए, जिनमें भारतीय पत्रकारों की उनके काम के कारण हत्या कर दी गई।
पत्रकारों के खिलाफ इस हिंसा को जून में एनडीटीवी के संस्थापकों के घरों और कार्यालयों पर हुई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की छापेमारी के साथ मिलाकर देखें तो भारत में प्रेस की आजादी की स्थिति चिंताजनक हो चुकी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक संपादकीय में इसे प्रमुखता से उठाते हुए लिखा था, सोमवार को भारत में प्रेस की आजादी पर एक नया प्रहार हुआ..
विभिन्न देशों का उनकी प्रेस की आजादी के अनुसार मूल्यांकन करने वाले फ्रीडम हाउस ने भारत में प्रेस की स्थिति को 2016 में केवल ‘आंशिक रूप से आजाद’ का दर्जा देते हुए 0-100 की तालिका में इसे 40 अंक दिए।
कुछ प्रमुख घटनाक्रमों पर नजर डालते हैं :
– काम को लेकर कम से कम दो पत्रकारों की हत्या कर दी गई।
– सर्वोच्च न्यायालय का आपराधिक मानहानि के कानून को बनाए रखने का फैसला।
– छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर अत्यधिक दबाव और अपनी सुरक्षा को लेकर उनमें से कुछ का नई जगह जाकर बस जाना।
– जम्मू एवं कश्मीर में प्रेस पर प्रतिबंध। समाचार पत्रों को बंद किया जाना और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर अंकुश।
कुल मिलाकर कहें, तो भारत में प्रेस की आजादी की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। शायद कोई यह भी सोच सकता है कि यह इतनी बुरी भी नहीं है। लेकिन क्या प्रेस की आजादी इतना बड़ा मुद्दा है?
बेशक! बल्कि एक मुखर लोकतंत्र के लिए प्रेस की आजादी के महत्व को नजरअंदाज करना लगभग असंभव है।
प्रेस की आजादी के महत्व को समझाने के लिए मैं वाशिंगटन डी.सी. के एक शानदार संग्रहालय में लिखे एक कथन का उद्धरण देना चाहूंगा, जहां लिखा है, प्रेस की आजादी लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण आधारशिला है। लोगों को यह जानने की जरूरत है। पत्रकारों को जानकारी सामने लाने का अधिकार है। तथ्यों का पता लगाना कठिन हो सकता है। घटना की जानकारी देना जोखिमभरा हो सकता है। आजादी में अतिशयता का अधिकार भी शामिल है। जिम्मेदारी में निष्पक्ष होने का अधिकार शामिल है। समाचार, आगे आने वाला इतिहास है। पत्रकार इतिहास का पहला प्रारूप पेश करते हैं। स्वतंत्र प्रेस सच्चाई बयां करता है।
भारत के संविधान में प्रेस की आजादी का विशेष तौर पर कोई उल्लेख नहीं है। इसके विपरीत, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है और उसके बाद से सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में इस अनुच्छेद में प्रेस की आजादी भी शामिल होने की बात कही है।
पिछले कुछ वर्षो में यह धारणा उभरी है कि प्रेस की आजादी के पर कतर दिए गए हैं। यह न ही संविधान के अनुरूप है और न ही भारतीय लोकतंत्र के हित में है।
भारत के नागरिकों ने 2014 में हुए पिछले आम चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में मतदान करके अमेरिका और दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया था। और जब हम 2019 की ओर बढ़ रहे हैं, यह भारत के वर्तमान प्रशासन के लिए प्रेस की आजादी सुनिश्चित कर शेष दुनिया के सामने लोकतंत्र का एक और उदाहरण रखने का समय है।
प्रेस की आजादी भारत और उसके नागरिकों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। हमें प्रेस की आजादी की सराहना करनी चाहिए, उसे जमींदोज नहीं करना चाहिए। कई लोग ऐसे हैं, जो इसके विपरीत काम करना चाहते हैं।
पत्रकारों को कठिन सवाल पूछने और मुश्किल लेख लिखना नहीं छोड़ना चाहिए। उनके कंधों पर सच्चाई को सामने लाने की जिम्मेदारी होती है। हमें आज पत्रकारों की जरूरत पहले से भी ज्यादा है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह तथ्यों को काल्पनिक बातों से अलग रखे और सरकारों और नेताओं को समान मापदंडों पर रखे।
नेशनल
दिल्ली की खराब एयर क्वालिटी को देखते हुए सीएम आतिशी ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सभी प्राथमिक विद्यालय खराब (AQI ) के कारण बंद कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री आतिशी ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सभी प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास होगी। छात्र-छात्राओं को स्कूल नहीं जाना होगा। अगले निर्देश तक दिल्ली के प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं चलेंगी।
क्या बताया सीएम आतिशी ने कारण ?
राष्ट्रीय राजधानी की एयर क्वालिटी लगातार दूसरे दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, जिसके चलते अधिकारियों को पॉल्यूशन रोकने के लिए कड़े कदम उठाने पड़े। प्रतिबंध आज शुक्रवार से लागू हो रहे हैं। शिक्षा विभाग का कार्यभार भी संभाल रहीं सीएम आतिशी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण, दिल्ली के सभी प्राइमरी स्कूल अगले निर्देश तक ऑनलाइन कक्षाओं में चलाए जाएंगे।”
इसके मद्देनजर शिक्षा निदेशालय (DoE) ने सभी सरकारी, प्राइवेट, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के स्कूलों के प्रिंसिपल को निर्देश दिया है कि 5वीं तक के बच्चों को स्कूल में नहीं बुलाएं, डीओई ने कहा कि अगले आदेश तक इनके लिए ऑनलाइन क्लास के व्यवस्था की जाए।
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