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मप्र : कभी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने पड़े थे दिग्विजय के पैर!
भोपाल, 4 अगस्त (आईएएनएस)| राजनीति ऐसा खेल है, जिसे समझना आसान नहीं है। इसके खिलाड़ी कब कौन-सी चाल चल दें, उसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता। जब विपक्ष में होते हैं तो तेवर और मिजाज में आक्रामकता उनकी पहचान होती है और सत्ता में आते ही अंदाज बदल जाते हैं।
अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान को लीजिए। जब विपक्ष में थे तब विस्थापितों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर संघर्ष करते थे और मांग पूरी होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पैर तक सार्वजनिक तौर पर पड़े थे, और आज अब सत्ता में हैं तो सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के मुद्दे पर चर्चा तक को तैयार नहीं हैं।
जानकारों के अनुसार, वर्ष 2002 में इंदिरा सागर परियोजना के चलते खंडवा संसदीय क्षेत्र के कई गांव और परिवार प्रभावित हो रहे थे। इसके आंदोलन की कमान खंडवा से तत्कालीन सांसद नंद कुमार सिंह चौहान ने संभाली और प्रभावितों को दिए जा रहे मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की। उन्होंने घोषणा कर दी थी कि कांग्रेस सरकार उनकी मांग मान लेती है तो वह सार्वजनिक तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पैर पड़ेंगे।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आईएएनएस से कहा, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चौहान की मांग मान ली और मुआवजा राशि बढ़ाकर प्रभावितों को दी। उसके बाद चौहान ने सार्वजनिक तौर पर दिग्विजय सिंह के पैर पड़े थे। कांग्रेस हमेशा सत्ता में रहने के दौरान गरीब, किसान और जरूरत मंदों के हित में फैसले लेती रही है। अगर सरकार से फैसले लेने में कोई चूक हुई तो उसे सुधारने में भी हिचक नहीं दिखाई।
चौहान भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं, दिग्विजय सिंह ने उनके क्षेत्र (खंडवा) को मुआवजा ज्यादा दिया था, मैने मांग की थी कि अगर वे मुआवजा ज्यादा देंगे तो वे उनके सार्वजनिक तौर पर पैर पड़ेंगे, बाद में ऐसा किया भी।
लेकिन वर्तमान में राज्य और केंद्र की सरकार अपनी मनमर्जी के आगे किसी की सुनने को तैयार नहीं है। सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ने से हजारों परिवारों की जिंदगी दांव पर है।
वहीं, दूसरी ओर सरदार सरोवर बांध प्रभावितों के संपूर्ण पुनर्वास को लेकर चल रहे आंदोलन की ओर से सरकार आंखें मूंदे हुए है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर और 11 लोग उपवास पर है, तबीयत बिगड़ रही है, लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा अब तक उनसे बातचीत को नहीं पहुंचा। उनकी सिर्फ एक बड़ी मांग है कि संपूर्ण पुनर्वास के बाद ही जलस्तर बढ़ाया जाए।
भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है, सरदार सरोवर का काम पिछले 35 वर्षो से चल रहा है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद काम ने गति पकड़ी, लगभग 70 फीसदी काम भाजपा के शासनकाल में हुआ। एक बड़ी परियोजना है, लाखों एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होगी, इसके चलते कुछ लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। सरकार ने उन्हें मुआवजा देने के साथ ही उनके जीवनयापन के वैकल्पिक इंतजाम किए हैं। आवास भी बनाकर दिए हैं। जहां तक विरोध की बात है तो मेधा पाटकर जैसे लोग विदेशी चंदा लेकर परियोजनाओं में खलल डालते हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रिलायंस, उद्योगपतियों और गुजरात के वोटों की इतनी चिंता है कि वे प्रभावितों से संवाद तक करने से डर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक विस्थापन को रोक कर पूर्ण पुनर्वास में महज कुछ माह ही लगेंगे। अगर ऐसा कर दिया जाए तो पृथ्वी अपनी धुरी से घूमना बंद नहीं कर देगी।
उन्होंने आगे कहा, मेधा पाटकर की हालत नाजुक है, लेकिन सरकार बेखबर है, क्योंकि उसे लगता है कि मेधा के शहीद होने पर भी उनके वोटों की खरीद-फरोख्त पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर यह भी याद रखना चाहिए कि यह संघर्ष मनुष्यता का मनुष्यता के लिए है।
सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाकर 138 मीटर की जा रही है, बांध के सभी दरवाजे बंद होने पर मध्य प्रदेश के 192 गांव के 40 हजार से अधिक परिवार डूब की जद में आ जाएंगे। इस परियोजना से लाभ गुजरात को और नुकसान मध्य प्रदेश को होना है। सरकार द्वारा विस्थापितों के पुनर्वास में रुचि न लेना, कागजी खानापूर्ति करना, अफसर व मंत्रियों की बयानबाजी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि उसे किसी की परवाह नहीं है।
नेशनल
दिल्ली की खराब एयर क्वालिटी को देखते हुए सीएम आतिशी ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सभी प्राथमिक विद्यालय खराब (AQI ) के कारण बंद कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री आतिशी ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सभी प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास होगी। छात्र-छात्राओं को स्कूल नहीं जाना होगा। अगले निर्देश तक दिल्ली के प्राइमरी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं चलेंगी।
क्या बताया सीएम आतिशी ने कारण ?
राष्ट्रीय राजधानी की एयर क्वालिटी लगातार दूसरे दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, जिसके चलते अधिकारियों को पॉल्यूशन रोकने के लिए कड़े कदम उठाने पड़े। प्रतिबंध आज शुक्रवार से लागू हो रहे हैं। शिक्षा विभाग का कार्यभार भी संभाल रहीं सीएम आतिशी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण, दिल्ली के सभी प्राइमरी स्कूल अगले निर्देश तक ऑनलाइन कक्षाओं में चलाए जाएंगे।”
इसके मद्देनजर शिक्षा निदेशालय (DoE) ने सभी सरकारी, प्राइवेट, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के स्कूलों के प्रिंसिपल को निर्देश दिया है कि 5वीं तक के बच्चों को स्कूल में नहीं बुलाएं, डीओई ने कहा कि अगले आदेश तक इनके लिए ऑनलाइन क्लास के व्यवस्था की जाए।
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