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मुख्य समाचार

मप्र में ‘जूता-चप्पल’ पर गरमाई सियासत

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भोपाल, 30 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान भले ही न हुआ हो, लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे पर जमकर हमले बोल रहे हैं।

दोनों ही दलों को आलोचना के मौके की तलाश रहती है। राज्य सरकार द्वारा तेंदूपत्ता मजदूरों को बांटे गए जूते-चप्पल में हानिकारक रसायन होने की बात सामने आने पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर हमलों की बौछार कर दी। वहीं भाजपा को इस मसले पर सुरक्षात्मक रुख अपनाना पड़ा।

राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तेंदूपत्ता का काम करने वाले मजदूरों का दिल जीतने के लिए मुख्यमंत्री चरणपादुका योजना शुरू की। इस योजना के जरिए भाजपा आदिवासियों के घर-घर तक पहुंचने की तैयारी में जुटी थी, तभी एक रिपोर्ट सामने आई और उसमें कहा गया कि इन जूते-चप्पलों के निर्माण में जिस रसायन का उपयोग किया जा रहा है, वह कैंसर जैसी बीमारी पैदा कर सकता है। इसके बाद कांग्रेस ने सरकार पर हमलों का दौर शुरू कर दिया। अब तक 10 लाख से ज्यादा जूते-चप्पल बांटे जा चुके हैं।

राज्य की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है, आदिवासियों के हक और सम्मान की बात करने वाली भाजपा सरकार का ये कारनामा देखिए, 10 लाख आदिवासियों को बांटे गए कैंसर वाले जूते-चप्पल। केंद्रीय चर्म संस्थान की जांच में इसका खुलासा भी हो गया है।

राज्य के वनमंत्री गौरी शंकर शेजवार ने दावा किया कि आदिवासियों को बांटे गए जूते और चप्पलों में किसी तरह का हानिकारक रसायन नहीं है। इसकी जांच नोएडा की फुटवेयर, डिजाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट और चेन्नई की चर्म अनुसंधान संस्थान में की गई, जिसमें प्रतिबंधित रसायन एजेंडओ नहीं है।

वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिह ने नोएडा के फुटवेयर, डिजाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट और चेन्नई की चर्म अनुसांान संस्थान की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है।

समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि सरकार को यह बात स्पष्ट करनी चाहिए कि जो जूते-चप्पल बांटे गए हैं, वे किस कंपनी के हैं, किससे खरीदी की गई है, उनकी जिस संस्थान से जांच कराई गई है, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करें। सरकार सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकती कि जूते-चप्पलों में घातक रसायन नहीं हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस मसले को गंभीरता से ले ही नहीं रही है।

आदिवासियों को बांटे गए जूतों में अगर वास्तव में घातक रसायन है तो यह चिंता की बात है। सत्तापक्ष का मौन रहना तो समझ में आता है, मगर विपक्षी दल कांग्रेस का सिर्फ संवाददाता सम्मेलनों और विज्ञप्तियां जारी करने तक सीमित रहना कई सवाल खड़े करता है।

राज्य की कांग्रेस इकाई के किसी भी बड़े नेता ने आदिवासियों के बीच पहुंचकर यह जानने की कोशिश नहीं की कि क्या वास्तव में इन जूतों से उन्हें कोई दिक्कत हो रही है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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