Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

मप्र : सालभर छाए रहे घोटालों के मुद्दे 

Published

on

Loading

भोपाल| मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगाातार शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में जीत और सफलता के कई कीर्तिमान बनाती जा रही है। लेकिन व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई घपलेबाजी के साथ सरकारी स्तर पर हुए दवा खरीदी घोटाले पर से वर्ष 2014 में उठे पर्दे ने शिवराज सरकार को कटघरे में भी खड़ा किया है।

राज्य में प्रशासनिक सेवा को छोड़कर होने वाली विभिन्न प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाएं व्यापमं द्वारा आयोजित की जाती हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) है।

राज्य के निवासियों की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए तैयार किए जाने वाले चिकित्सकों के लिए आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ है, वैसा न तो कभी सुना गया और न ही किसी ने कल्पना की थी। हाल यह है कि जो हाईस्कूल परीक्षा कई साल उत्तीर्ण नहीं कर सके, वे आज मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यहां कई चिकित्सक शैक्षिक क्षमता के आधार पर नहीं, आर्थिक क्षमता के बल पर बने हैं।

व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर), संविदा शिक्षक, परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा सहित अन्य कई परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आई है। सरकार ने मामले के तूल पकड़ने पर व्यापमं घोटाले की जांच के लिए विशेष कार्यदल (एसटीएफ) बनाया। कांग्रेस ने विधानसभा से लेकर सड़क तक उतर कर इस पूरे घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उच्च न्यायालय में एक पत्र याचिका के जरिए व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की, बाद में उनकी ओर से एक याचिका भी दायर की गई। इस पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच की मांग खारिज करते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) की देखरेख में एसटीएफ को जांच जारी रखने के निर्देश दिए।

व्यापमं घोटाले में भाजपा के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनन करोबारी व भाजपा नेता सुधीर शर्मा के अलावा कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना और व्यापमं से जुड़े कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, उनसे पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। दलालों और लेनदेन के बल पर चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिला लेने वाले सैकड़ों बच्चे और उनके पालक गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और वरिष्ठ नेता अजय सिंह इन घोटालों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका तर्क रहा है कि अगर इस प्रकरण की सीबीआई जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वहीं चौहान ने खुली चुनौती दी कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। अगर आरोप साबित हो जाएं तो वे कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं।

एक तरफ जहां व्यापमं की परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी का शोर रहा, वहीं राज्य में अमानक दवा खरीदी का खुलासा होने पर सरकार के सामने एक और बड़ी चुनौती आन खड़ी हुई।

सूचना के अधिकार के तहत यह बात सामने आई है कि राज्य में 147 ऐसी दवाओं की आपूर्ति हुई, जो अमानक स्तर की हैं। इस मामले के खुलासे के बाद सरकार बचाव की मुद्रा में रही और लगातार अमानक दवाओं की आपूर्ति न होने की बात कहती रही।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा यही कहते हैं कि बीते चार वर्षो में एक भी दवा अमानक नहीं पाई गई है, इस मामले में लगातार भ्रम फैलाया जाता रहा है ।

अमानक दवाओं के चलते सरकार की मुसीबत बढ़ने की बड़ी वजह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुआ नसबंदी कांड भी रहा है। जांच में पाया गया है कि जिन मरीजों की मौत हुई है, उन्हें अमानक दवा दी गई है। लिहाजा राज्य में अमानक दवाओं की आपूर्ति का खुलासा होने पर लोगों में दवाओं को लेकर अविश्वास की भावना बढ़ी है।

एक तरफ फर्जी चिकित्सकों सहित अन्य सेवाओं में अयोग्य लोगों की भर्ती और दूसरी तरफ अमानक दवाओं के मामलों ने सरकार को वह दंश दिए हैं, जिनसे चुनावी नतीजे भले ही प्रभावित न हो, मगर उसकी छवि पर आंच आ ही गई है।

उत्तर प्रदेश

भगवान रामलला के मंदिर में मुख्यमंत्री ने जलाए श्रद्धा के दीप

Published

on

Loading

अयोध्या|  22 जनवरी 2024 को रामलला 500 वर्ष बाद अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हुए। इसके बाद 30 अक्टूबर को पहला दीपोत्सव हुआ, जब लला स्वयं के महलों में विराजमान होकर अपनी नगरी को अपलक निहारते रहे। अयोध्या का सौंदर्य देख रामलला खुद भी भाव-विह्वल हो उठे। योगी सरकार के आठवें दीपोत्सव में राममंदिर की अनुपम छटा हर किसी को आह्लादित कर रही थी।

रामलला की मौजूदगी में बुधवार को पहला दीपोत्सव मनाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार शाम श्रीराम मंदिर भी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का दर्शन किया, फिर उनके चरणों में श्रद्धा निवेदित की। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने प्रभु के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किए। बाहर भी मुख्यमंत्री ने पांच-पांच दीप जलाए। वहीं मंदिर प्रांगण में हजारों दीप प्रज्ज्वलित किए गए।

श्रीराम मंदिर में दीप प्रज्ज्वलन के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव संजय प्रसाद, श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी अनिल मिश्र, गोपाल जी, विनोद जी आदि भी रहे।

Continue Reading

Trending