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बिजनेस

मसालों का निर्यात 35 प्रतिशत बढ़ा

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नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| मिर्च, जीरा और हल्दी का बड़ी मात्रा में निर्यात होने से वित्तीय वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के दौरान भारत से मसालों का निर्यात मात्रा में 35 प्रतिशत बढ़ गया और इस अवधि के दौरान यह बढ़कर 4589.14 करोड़ रुपये का हो गया है। वित्तीय वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में कुल निर्यात 2,27,938 टन था और इसके मुकाबले अप्रैल-जून 2017 में मात्रा की दृष्टि से यह बढ़कर 3,06,990 टन हो गया।

अप्रैल-जून 2017 के दौरान 1,33,000 टन के साथ सबसे ज्यादा निर्यात मिर्च का रहा और इससे 1,198 करोड़ रुपये की कमाई हुई।

स्पाइसेस बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. ए. जयतिलक ने कहा, भारतीय मसालों में मिर्च की सर्वाधिक मांग रहती है और वैश्विक बाजारों में उच्च गुणवत्ता के मसालों की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मांग को इसने पूरा किया है। इसके अलावा, लहसुन को बढ़ावा देने का बोर्ड का प्रयास इसके निर्यात की पर्याप्त वृद्धि में परिणत हुआ है।

मात्रा और मूल्य के मामले में लहसुन में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई। इस अवधि के दौरान जहां इसका निर्यात भी पर्याप्त रूप से बढ़ा वहीं इसका मूल्य 107 प्रतिशत तक बढ़ा और मात्रा 169 प्रतिशत तक बढ़ी।

बड़ी सौंफ की मा़त्रा में 92 प्रतिशत और मूल्य में 49 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई जब वैश्विक स्तर पर यहां से 13,250 टन बड़ी सौंफ का निर्यात किया गया। पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले इस साल सरसों, सौंफ और सोआ बीज जैसे अन्य बीजीय मसालों का भी निर्यात मात्रा में 83 प्रतिशत बढ़ा और इसके मूल्य में 63 प्रतिशत वृद्धि रही।

इस अवधि के दौरान परिमाण में 10 प्रतिशत और मूल्य में 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 134.55 करोड़ रुपये मूल्य की 1,220 टन छोटी इलायची का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 90.81 करोड़ रुपये की 1,106 टन इलायची का ही निर्यात हो पाया था।

अप्रैल-जून 2017 के दौरान अदरक और पुदीना-उत्पादों का भी कुल निर्यात-वृद्धि में अहम योगदान रहा। प्रसंस्कृत और मूल्यवर्धित मसालों की बढ़ती मांग के कारण करी पाउडर तथा पेस्ट के अलावा मसालों के तेल और तैलीरालों का निर्यात भी बढ़ा, जिसका मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में मसालों की निर्यात-वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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