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महानदी जल बंटवारे पर ओडिशा-छत्तीसगढ़ में तनाव : जलपुरुष

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भोपाल, 19 जुलाई (आईएएनएस)| जलपुरुष राजेंद्र सिंह का कहना है कि समाज और संस्कृति को पानी और नदियां जोड़ती हैं, लेकिन इस समय देश में सरकारों के रवैये के कारण यही (पानी और नदी) समाज को तोड़ने का काम करने लगी हैं। उन्होंने कहा कि कावेरी नदी जल बंटवारे ने कर्नाटक-तामिलनाडु के बीच दूरी बढ़ा दी है, तो अब महानदी के जल बंटवारे पर लगभग यही हालात छत्तीसगढ़-ओडिशा के बीच बन रहे हैं।

राजेंद्र ने ओडिशा और छत्तीसगढ़ के प्रवास के बाद दूरभाष पर आईएएनएस से बातचीत में कहा, छत्तीसगढ़ सरकार उद्योगों को हर हाल में पानी देना चाहती है, भले ही इंसान और मवेशी उससे महरूम रह जाएं। इस सरकार ने पहले शिवना नदी को उद्योगों के हाथों बेच दिया और अब महानदी पर उसकी नजर है।

सिंह ने आगे कहा, महानदी का छत्तीसगढ़ से उद्गम है और ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह नदी 851 किलोमीटर का रास्ता तय करती है। इसका बेसिन क्षेत्र एक लाख 40 हजार वर्ग किलोमीटर है। इस नदी का 51 फीसदी हिस्सा छत्तीसगढ़ और 49 प्रतिशत ओडिशा में है। ओडिशा के 15 जिलों के लिए महानदी जीवन रेखा है। छत्तीसगढ़ नदी को रोक दें तो ओडिशा को एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा। वर्तमान में यही हालात बन रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में जलपुरुष ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ उद्योगों से सौदा कर छह बैराज बना दिए हैं, दो मीटर ऊंचाई वाले छोटे बांधों की अनुमति ली गई और बड़े छह बैराज बना दिए गए, जिनकी उंचाई छह मीटर है। लिहाजा ज्यादा से ज्यादा पानी इन बैराजों में उद्योग रोक रहे हैं। इतना ही नहीं उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी महानदी के जरिए ओडिशा में पहुंचेगा। पहले भी पहुंचता रहा है, जिससे बारगढ़ में कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ी है।

राजेंद्र सिंह कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तामिलनाडु के बीच बढ़े तनाव और हिंसा की याद कर सिहर जाते हैं।

उनका कहना है कि वह ओडिशा के लोगों की परेशानी और उससे उपजे असंतोष को लेकर चिंतित हैं, वहीं छत्तीसगढ़ सरकार इस प्रदेश के लोगों की बात सुनने को तैयार नहीं है, केंद्र सरकार ने जब दखल दिया तो छत्तीसगढ़ सरकार ने आपस में मामले को निपटाने का वादा किया, लेकिन अब वह मौन है। मानसून के दौरान ओडिशा में महानदी के किनारे के लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं तो आने वाले दिनों में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

उन्हें आशंका है कि कहीं कर्नाटक-तामिलनाडु जैसी स्थिति छत्तीसगढ़-ओडिशा के बीच न बन जाए।

राजेंद्र बताते हैं, ओडिशा के समाजिक कार्यकर्ता सुदर्शन दास ने एनजीटी में याचिका दायर की है। उनकी ओर से कहा गया है कि महानदी ओडिशा की जीवन रेखा है और किसानों की खेती व पीने के लिए पानी की जरूरत है, तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार बैराज के जरिए पानी रोककर उद्योगों को दे रही है, इससे इस क्षेत्र के लोगों का जीवन संकट से घिर जाएगा।

महानदी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिवाहा नामक पहाड़ से निकलती है, जो समुद्र तल से 442 मीटर की उंचाई पर स्थित है।

यह नदी छत्तीसगढ़ के धमतरी, रायपुर, जांजगीर, बिलासपुर से होती हुई ओडिशा के संबलपुर, सुबारनापुर, बोध, अंगुल, कटक, बांकी, केंद्रापाड़ा, झारसुगुड़ा होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। महानदी पर हीराकुंड बांध बना हुआ है, जो ओडिशा में है। महानदी के बेसिन के 80 हजार वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में खेती होती है, जो देश में होने वाली खेती का चार प्रतिशत है।

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नेशनल

दिल्ली में वायु प्रदूषण बेहद गंभीर स्तर पर, सांस लेना भी मुश्किल

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नई दिल्ली। दिल्ली में आए दिन वायु प्रदूषण एक भयानक रूप लेता जा रहा है। दिल्ली में पिछले 25 दिनों से प्रदूषण का स्तर लोगों के लिए जहरीला साबित हो रहा है. हालात यह है कि अब सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. सांस की बीमारी परेशान लोगों के लिए तो यह स्थिति जानलेवा साबित हो रहा है. डॉक्टर स्मॉग के असर को कम करने के लिए लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन हर समय मास्क पहनना भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है.

AQI लेवल दिल्ली के इलाकों का

अलीपुर 307

आनंद विहार 328

अशोक विहार 312

आया नगर 491 286

बवाना 338

चांदनी चौक 249

द्वारका सेक्टर 8 332

आईटीओ 314

जहांगीरपुरी 330

लोधी रोड 255

मुंडका 365

नजफगढ़ 301

नरेला 267

नेहरू नगर 331

आर के पुरम 307

रोहिणी 322

शादीपुर 377

सोनिया विहार 312

वजीरपुर 330

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