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मेधा का उपवास नहीं, मगर संकल्प टूट गया!
भोपाल, 8 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के धार जिले के चिखल्दा गांव में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डूब में आने वाले परिवारों के हक के लिए बेमियादी उपवास पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर को भले ही पुलिस ने जबरिया उठाकर इंदौर के अस्पताल में भर्ती करा दिया हो, मगर उनका उपवास मंगलवार अर्थात 13वें दिन भी जारी है।
सरकार ने सोमवार को मेधा को उपवास से जबरन उठवाकर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जिससे उनका वह संकल्प टूट गया कि वह किसी निजी अस्पताल में अपना इलाज कभी नहीं कराएंगी। वे स्वास्थ्य के निजीकरण खिलाफ लड़ाई लड़ती रही हैं।
मेधा के साथ लंबे अरसे से जुड़े और निमांड इलाके में सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने आईएएनएस को बताया, मेधाजी जहां बांध से विस्थापित होने वालों के हक के लिए बीते साढ़े तीन दशक से लड़ाई लड़ती आ रही हैं, वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण के खिलाफ रही हैं। वे सरकारी अस्पतालों को बेहतर सुविधा संपन्न बनाए जाने की पक्षधर हैं, ताकि गरीबों को नि:शुल्क इलाज मिल सके।
निधि ने आगे बताया कि मेधा ने कभी भी अपना उपचार किसी निजी अस्पताल में जाकर नहीं कराया, मगर मध्यप्रदेश की सरकार ने उनके इस संकल्प को इंदौर के बॉम्बे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराकर तोड़ दिया है, उनका वहां भी उपवास जारी है।
सरकार को मेधा को सरकारी एमवाय अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था, मगर आमजन की पहुंच से दूर रखने के लिए उन्हें निजी अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है, जबकि दो आंदोलनकारियों की तबीयत मेधा से ज्यादा खराब है और उन्हें सरकारी अस्पताल में रखा गया है।
ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर किए जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव और इनमें बसे 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक पूर्ण पुनर्वास का निर्देश दिया था। जहां नई बस्तियां बसाने की तैयारी चल रही हैं, वहां सुविधाओं का अभाव है। लिहाजा, डूब में आने वाले गांव के अधिकांश लोग उन बस्तियों में जाने को तैयार नहीं हैं।
विस्थापन से पूर्व पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर मेधा अन्य 11 लोगों के साथ 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन उपवास पर थीं। सोमवार को पुलिस ने जबरिया मेधा व अन्य छह को जबरिया उपवास स्थल से उठाकर देर रात को धार व इंदौर के अस्पतालों में भर्ती कराया।
इंदौर के संभागायुक्त संजय दुबे ने बताया कि मेधा को निजी बॉम्बे अस्पताल और अन्य को एमवाइ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज का कहना है कि मेधा को निजी अस्पताल में भर्ती कराकर सरकार ने यह साबित कर दिया है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों का हाल खस्ता है।
उन्होंने कहा कि मेधा हमेशा चिकित्सा के निजीकरण के खिलाफ रही हैं, और उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराकर उनके उस संकल्प और अभियान को तोड़ा है, जिसको लेकर वे बीते साढ़े तीन दशक से चल रही है। सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार या प्रशासन को किसी के संकल्प को तोड़ने का अधिकार है।
वहीं मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार की रात को मेधा को अस्पताल ले जाए जाने के बाद कई ट्वीट किए। इनमें कहा गया है, मेधाजी और उनके साथियों की स्थिति हाई कीटोन और शुगर के कारण चिंतनीय थी। इनके स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन के लिए हम प्रयासरत हैं। मैं संवेदनशील व्यक्ति हूं। चिकित्सकों की सलाह पर मेधाजी व उनके साथियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, गिरफ्तार नहीं किया गया है।
चौहान ने अन्य ट्वीट में लिखा है, मैं प्रदेश का प्रथम सेवक हूं और सरदार सरोवर बांध के विस्थापित अपने प्रत्येक भाई-बहन के समुचित पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध हूं। विस्थापितों के पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार ने नर्मदा पंचाट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश पालन के साथ 900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पैकेज देने का काम किया। सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, हर संभव प्रयास किए गए हैं और यह प्रयास जारी है।
मेधा के समर्थकों को हालत गंभीर होने का हवाला देकर अस्पताल में भर्ती कराए जाने पर उतना रोष नहीं है, जितना निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किए जाने को लेकर है। समर्थकों का कहना है कि सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी के सिद्धांत और संकल्प पर कुठाराघात करे।
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सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।
केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।
Minister @AshwiniVaishnaw replies to the questions asked by member @arungovil12 during #QuestionHour in #LokSabha regarding Laws to Check Vulgar Content on Social Media. @ombirlakota @loksabhaspeaker @LokSabhaSectt @MIB_India pic.twitter.com/xu6wEzGNy1
— SansadTV (@sansad_tv) November 27, 2024
नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।
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