Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

मैथिली साहित्य के समालोचक मोहन भारद्वाज नहीं रहे, साहित्य जगत में शोक की लहर

Published

on

Loading

पटना, 24 जुलाई (आईएएनएस)| मैथिली साहित्य के जानेमाने साहित्यकार और समालोचक मोहन भारद्वाज का मंगलवार को झारखंड की राजधानी रांची के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। मोहन भारद्वाज के पारिवारिक मित्र और नाटककार डॉ़ अरविंद कुमार अक्कु ने आईएएनएस को बताया कि मंगलवार सुबह पांच बजे रांची के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि वे कई दिनों से बीमार थे और एक महीना पूर्व उन्हें रांची के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे 10 दिनों से कोमा में थे।

उन्होंने कहा कि अंतिम समय में उनके पास उनका पूरा परिवार मौजूद था।

मोहन भारद्वाज के पुत्र मधुकर भारद्वाज ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार बुधवार को रांची में किया जाएगा। वे फिलहाल अपने पुत्र के साथ रांची में ही रह रहे थे।

मोहन भारद्वाज का जन्म मधुबनी के नवानी गांव में नौ फरवरी, 1943 को हुआ था। वे भारत सरकार के एजी ऑफिस, पटना और रांची लेखा विभाग में कार्यरत थे।

भारद्वाज के जाने से पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। चेतना समिति के संयुक्त सचिव और साहित्यकार डॉ़ रामानंद झा रमण ने उनके निधन को साहित्य जगत, खासकर मैथिली साहित्य के लिए बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि उनके जैसा आलोचक बहुत दिनों बाद साहित्य जगत को मिला था। उनके साहित्य में योगदान को बिसराया नहीं जा सकता है।

भारद्वाज ने करीब दो दर्जन से ज्यादा रचनाएं की, जिसमें पांच खंडों में ‘रामनाथ झा रचनावली’ और ‘टालस्टॉय ऑफ भारत’ का अनुवाद काफी चर्चित रहा।

पद्मश्री उषा किरण खां ने भी भारद्वाज के निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से न केवल साहित्य जगत, बल्कि उन्हें निजी तौर पर बहुत क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि भारद्वाज की पहचान समालोचक की जरूर थी, लेकिन वे बेहद सकारात्मक व्यक्ति थे। उन्हें साहित्यक जगत कभी नहीं भूल पाएगा।

भारद्वाज एकल पाठ, कथा गोष्ठी, कवि गोष्ठी आदि में भी शामिल होते रहे है, यही कारण है कि उनके प्रशंसक सभी क्षेत्रों में हैं।

लेखक गिरींद्र नाथ झा ने कहा कि मोहन भारद्वाज के निधन से मैथिली साहित्य के आलोचना विधा को गहरी चोट लगी है। उन्होंने अपनी साहित्यिक छवि का विकास एक समालोचक के रूप में बखूबी की।

साहित्य अकादमी में मैथिली सलाहकार समिति में रहे भारद्वाज चेतना समिति में भी सक्रिय रूप से जुड़कर साहित्य जगत की बखूबी सेवा की है। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें प्रबोध साहित्य सम्मान और चेतना समिति द्वारा ताम्र पत्र से नवाजा गया था।

साहित्यकार प्रेम मोहन मिश्र और डॉ रामदेव झा ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है।

Continue Reading

नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

Published

on

Loading

नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

Continue Reading

Trending