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मुख्य समाचार

मोदी ने राफेल सौदे में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया : एंटनी

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नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फ्रांस से खरीदे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या घटाकर 36 करने पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा तैयारियों के साथ गंभीर समझौता’ करने का आरोप लगाया है। पूर्व रक्षामंत्री ने यहां मीडिया से कहा, 2000 में, भारतीय वायुसेना(आईएएफ) ने तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार को कहा था कि उन्हें कम से कम 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत है। पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर खतरे के मद्देनजर, आधुनिक हवाई शक्ति बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, वर्तमान संदर्भ में, खतरे की धारणा में काफी वृद्धि हुई है और आईएएफ को पहले के मुकाबले 126 लड़ाकू विमानों से ज्यादा विमानों की जरूरत है। हालांकि जरूरतों को पूरा करने के स्थान पर, मोदी सरकार केवल 36 लड़ाकू विमानों का आर्डर देकर राष्ट्रीय सुरक्षा और हवाई युद्ध की तैयारियों को खतरे में डाल रही है।

एंटनी ने कहा कि केवल रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ही विमानों व हथियारों की जरूरत पर फैसला कर सकती है।

उन्होंने साथ ही कहा कि मोदी द्वारा 2015 में केवल 36 लड़ाकू विमानों को खरीदने की घोषणा रक्षा खरीद प्रक्रिया(डीपीपी) का ‘गंभीर उल्लंघन’ है।

कांग्रेस नेता ने कहा, जब मोदी ने 2015 में इस संबंध में घोषणा की थी, तब भी डीएसी का 126 राफेल विमान खरीदने का स्वीकृत प्रस्ताव अस्तित्व में था। हम यह जानना चाहते हैं कि डीएसी ने कब 126 विमानों की प्रक्रिया को समाप्त किया और मोदी को किसने विमानों की संख्या घटाकर 36 करने के लिए अधिकृत किया।

उन्होंने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के उन दावों पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) के पास भारत में जेट बनाने की आवश्यक क्षमता नहीं है।

एंटनी ने कहा, उन्होंने एचएएल की छवि को धूमिल किया है, एचएएल एकमात्र कंपनी है, जो भारत में लड़ाकू विमानों का निर्माण कर सकती है। हम नहीं जानते कि उनके मंत्रालय के अधीन आने वाले सार्वजनिक उपक्रम को नीचा दिखाने का उनका इरादा क्या है।

उन्होंने पार्टी की अपनी मांग को दोहराते हुए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में जेट विमानों की कीमत और मौजूदा राजग सरकार में तय की गई कीमतों का खुलासा करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने मामले में एक संयुक्त संसदीय जांच(जेपीसी) की मांग की।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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