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यूएनएफपीए यौन उत्पीड़न मामला : अकबरुद्दीन से हस्तक्षेप की मांग

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पटना, 16 जून (आईएएनएस)| अमेरिका की दो महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से यूएनएफपीए के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है, जिनके खिलाफ संगठन की पूर्व कर्मचारी प्रशांति तिवारी ने यौन उत्पीड़न और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं।

दुनिया भर में यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाली कोड ब्लू अभियान की सह-निदेशक पॉला डोनोवन और स्टेफनी लेविस ने अकबरुद्दीन को लिखे पत्र में यूएनएफपीए के ‘संप्रभु शक्ति के सिद्धांत और कानून के शासन के भारी अपमान’ पर कार्रवाई करने की मांग की है। इस पत्र की प्रति आईएएनएस के पास उपलब्ध है।

बिहार में यूएनएफपीए की पूर्व कांट्रैक्टर, तिवारी ने यूएनएफपीए के अधिकारी और एक स्थानीय कर्मचारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इस मामले में पटना में फरवरी माह में भारतीय दंड संहिता की धारा 354,507,509 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था। मामले में हालांकि बहुत ही कम प्रगति हुई है, यूएनएफपीए ने आपराधिक और कानूनी प्रक्रिया से ‘छूट’ का हवाला देकर पुलिस से दो आरोपियों और प्रमुख गवाह को दूर रखा है।

इसबीच, यूएनएफपीए और पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर लोगों के बढ़ते विरोध के बीच, बिहार सरकार ने विदेश मंत्रालय से यूएनएफपीए अधिकारियों और एक मुख्य गवाह के खिलाफ पूछताछ की इजाजत देने के लिए लिखित इजाजत की मांग की थी।

वहीं यूएनएफपीए ने 11 मई, 2018 को विदेश मंत्रालय को लिखे पत्र में दो आरोपियों से पूछताछ की इजाजत नहीं दी और कहा कि मुख्य गवाह से केवल उसके परिसर में पूछताछ की जा सकती है।

अकरुबुद्दीन को लिखे कोड ब्लू के पत्र में डोनोवन और लेविस ने कहा है कि यूएनएफपीए द्वारा लागू शर्त पुलिस को निष्पक्ष और समुचित जांच की इजाजत नहीं दे रही है।

दोनों ने कहा, मुख्य गवाह से केवल एक बार पूछताछ की इजाजत देना, गोपनीयता का उल्लंघन, न्याय के हितों के लिए संयुक्त राष्ट्र के दायित्वों का मजाक उड़ाते हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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