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विद्याज्ञान ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि आगे बढ़ाई

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)| शिव नादर फाउन्डेशन द्वारा 2009 में स्थापित विद्याज्ञान लीडरशिप अकादमी ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख को 31 अक्टूबर, 2018 तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले चरण की परीक्षा 9 दिसंबर, 2018 को होगी। विद्याज्ञान, उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर व पढ़ने में होशियार बच्चों के लिए मुफ्त आवासीय स्कूल योजना है। दो स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा के बाद हर साल विद्याज्ञान में लगभग 400 बच्चों को दाखिला दिया जाता है।

विद्याज्ञान प्रवेश के लिए तीन स्तरीय प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है। पहले स्तर पर उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में प्राथमिक लिखित परीक्षा होती है। इसके बाद प्राथमिक परीक्षा के आधार पर लिखित परीक्षा के लिए विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। अंतिम रूप से चयनित किए गए विद्यार्थियों व उनके परिवारजनों से परस्पर संवाद किया जाता है।

इन परीक्षाओं के लिए योग्यता का मानदंड तय किए गए हैं। आवेदन करने वाला विद्यार्थी गांव के स्कूलों की कक्षा पांच में पढ़ाई कर रहा हो। लड़कियों की उम्र 31 मार्च, 2019 तक कम से कम 10 साल हो और अधिकतम 12 साल हो। लड़कों की उम्र कम से कम 10 साल हो और अधिकतम 11 साल हो। इसके अलावा छात्र ग्रामीण तथा कम आय वाले परिवारों से सम्बंधित होने चाहिए (पूरे परिवार की साल भर की आमदनी एक लाख रुपए से अधिक नहीं हो)।

विद्याज्ञान की स्थापना 2009 में की गई थी। स्थापना के बाद से आज तक विद्याज्ञान कई विद्यार्थियों और उनके परिवारों की जिंदगी में आमूलचूल बदलाव ला चुका है। विद्याज्ञान के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक और अन्य गतिविधियों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। साल 2017 में 363 छात्र कक्षा 12वीं की बोर्ड की परीक्षा में बैठे थे, जिनके औसत अंक 87 प्रतिशत थे।

इनमें से 32 छात्रों ने अलग अलग विषयों में 100 अंक प्राप्त किए थे। इनमें 36 फीसद छात्रों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए थे और इनका चयन भारत के नामचीन शिक्षण संस्थानों में हुआ, जैसे आईआईटी, एनआईटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी आदि। चार विद्यार्थियों का चयन अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटीज के लिए हुआ जिनमें बैबसन कॉलेज, ब्रायन मावर कालेज, यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर और हेवरफोर्ड कॉलेज शामिल हैं।

 

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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