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विधेयक पारित करने में विपक्ष बाधा नहीं : चिदंबरम

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नई दिल्ली,कांग्रेस,सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन,संसद, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम

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नई दिल्ली | कांग्रेस ने सोमवार को सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के इस आरोप को गलत बताया कि विपक्ष संसद में प्रमुख विधेयक पारित होने में बाधा पैदा कर रहा है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं इस दलील को खारिज करता हूं कि हम बाधा पैदा कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम बाधा पैदा नहीं कर रहे हैं। क्या हमने बीमा विधेयक के सामने बाधा पैदा किया? उन्होंने पांच (संसद) सत्रों में बाधा पैदा किया। मैं तो उनसे इसे पारित करने के लिए अनुरोध कर रहा था। क्या हमने काला धन विधेयक को बाधित किया?” चिदंबरम ने कहा कि सरकार सिर्फ विपक्ष की आलोचना कर दहाई अंकों की विकास दर हासिल नहीं कर सकती है। हम किस चीज का विरोध कर रहे हैं? हमने वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को स्थायी समिति में भेजने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, “उन्होंने विधेयक में आठ संशोधन किए हैं और सांसदों ने महसूस किया कि वे महत्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक हैं और उन्हें स्थायी समिति में भेजा जाना चाहिए।” चिदंबरम ने कहा, “सांसदों का मानना है कि इस संविधान संशोधन विधेयक को स्थायी समिति में भेजना चाहिए, जो कर व्यवस्था में बुनियादी बदलाव करने वाले हैं।” जीएसटी विधेयक पर पार्टी के रुख के बारे में उन्होंने कहा, “स्थायी समिति में हमारे सदस्य पार्टी का पक्ष रखेंगे। स्थायी समिति सिफारिशें करती है।”

चिदंबरम ने कहा कि उपभोक्ता महंगाई दर घट गई है, लेकिन कई खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “तीन दालों, तीन या चार सब्जियों और दूध की कीमतें बढ़ी हैं। यह कहना सही नहीं है कि कीमतें नहीं बढ़ी हैं।” चिदंबरम ने कहा कि राजग सरकार के दावे से अलग महंगाई दर नवंबर 2013 से ही घटनी शुरू हो गई थी। उन्होंने कहा, “संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और राजग दोनों ही सरकारों की नीतियों के कारण महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है।”

नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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