अन्तर्राष्ट्रीय
व्हाइट हाउस में पारंपरिक इफ्तार डिनर का नहीं हुआ आयोजन
वाशिंगटन, 26 जून (आईएएनएस)| व्हाइट हाउस में इस बार पवित्र इस्लामी महीने रमजान में पारंपरिक इफ्तार डिनर (रात्रिभोज) का आयोजन नहीं हुआ। करीब दो दशकों में पहली बार यह पंरपरा टूटी है। समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, पूर्व के प्रशासनों द्वारा कई बार यह आयोजन होने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति आवास व्हाइट हाउस में इस साल रमजान के महीने में कोई उत्साह नहीं दिखा। पवित्र महीने की समाप्ति पर शनिवार देर शाम इस बारे में सिर्फ एक बयान प्रकाशित किया गया।
व्हाइट हाउस में पहले इफ्तार डिनर की मेजबानी तत्कालीन राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने 1805 में की थी।
हिलेरी क्लिंटन ने प्रथम महिला के रूप में 1996 में फिर से इस परंपरा को शुरू किया, जब ईद-उल-फितर के मौके पर 150 लोगों को उन्होंने भोज के लिए आमंत्रित किया था। 1999 से लगातार हर साल यह डिनर आयोजित हो रहा है।
पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अपने दोनों कार्यकाल के दौरान हर साल इफ्तार डिनर की मेजबानी की थी।
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2009 में पहले रमजान डिनर की मेजबानी की और हर साल उन्होंने इसका आयोजन किया।
समाचार पत्र, वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, शनिवार को व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान पर डोनाल्ड और मेलानिया ट्रंप ने हस्ताक्षर किया था और यह राष्ट्रपति के सोशल मीडिया अकाउंट पर नहीं पोस्ट किया गया।
बयान के अनुसार, रमजान के पवित्र महीने में अमेरिका में रह रहे मुसलमानों ने दुनियाभर के लोगों के साथ विश्वास कायम करने और धमार्थ कामों पर ध्यान दिया।
बयान में आगे कहा गया, अब जब वे परिवार और दोस्तों के साथ ईद मनाते हैं, तो वे अपने पड़ोसियों की मदद करने और जीवन के सभी चरणों में लोगों के साथ भाईचारा बनाए रखने की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। इस छुट्टी के दौरान हमें दया, करुणा और सद्भाव की याद दिलाई जाती है। दुनियाभर के मुसलमानों के साथ अमेरिका हमारे इन मूल्यों का सम्मान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता फिर से शुरू करता है। ईद मुबारक।
पिछले साल जब ट्रंप राष्ट्रपति उम्मीदवार थे तो ‘एबीसी न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें व्हाइट हाउस में रहने का मौका मिलता है तो वह इस इफ्तार की परंपरा को जारी रखेंगे।
विदेश सचिव रेक्स टिलरसन ने भी विदेश विभाग में इफ्तार डिनर का आयोजन नहीं कर परंपरा को तोड़ दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात
नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।
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