अन्तर्राष्ट्रीय
शरीफ का समय अभी खत्म नहीं हुआ है : पीएमएल-एन
इस्लामाबाद, 28 जुलाई (आईएएनएस)| पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के लिए अयोग्य करार दिए जाने के निर्णय पर सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सदस्यों ने निराशा जताई है। लेकिन, उनका कहना है कि शरीफ के दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं। दूसरी ओर, न्यायालय के इस निर्णय को लेकर विपक्षी पार्टियों में जश्न का माहौल है।
सर्वोच्च न्यायालय के बाहर मीडिया से बातचीत में पंजाब के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा, पीएमएल-एन के लिए यह कठिन समय है, लेकिन पार्टी के निर्णय लेने संबंधी अधिकार नवाज शरीफ के पास बने रहेंगे।
शरीफ के मंत्रिमंडल में सूचना मंत्रालय संभाल रहीं मरियम औरंगजेब ने कहा, नवाज को कुर्सी की आवश्यकता नहीं है, वह एक वास्तविकता हैं। वह दिन दूर नहीं, जब वह चौथी बार प्रधानमंत्री चुने जाएंगे।
मरियम ने कहा, कुछ निर्णय अदालत में होते हैं और कुछ जनता की अदालतों में। हम एक निर्णय हार सकते हैं..जिस पर मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है, लेकिन दुखी हूं।
उन्होंने कहा, पीएमएल-एन पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इसके सबसे ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और इतिहास गवाह रहा है कि जब कभी नवाज शरीफ अन्यायपूर्वक हटाए गए हैं, पाकिस्तान के लोग उन्हें एक बड़े बहुमत के साथ संसद में वापस लाए हैं।
उन्होंने कहा कि पार्टी न्यायालय के निर्णय को विस्तार से देखने के बाद अपनी अगली योजना की घोषणा करेगी।
वरिष्ठ वकील असमा जहांगीर ने ‘द डॉन’ समाचार पत्र से कहा कि न्यायालय के निर्णय को स्वीकार किया जाना चाहिए लेकिन इसकी आलोचना के आधार भी हैं।
जहांगीर ने कहा, मेरे हिसाब से जिया उल हक (पूर्व राष्ट्रपति) और इफ्तिखार चौधरी (सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) वापस लौट आए हैं। यह अन्य लोगों और न्यायालय..के लिए कठिन बनेगा। संसद सोचेगी कि सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा हमारे खिलाफ निर्णय लिए हैं और संविधान केअनुच्छेद 184(3) में निहित अधिकार उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां से किसी को भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है। संसद इसमें संशोधन के लिए देखेगी।
उन्होंने कहा कि यह अनोखा फैसला है। इसकी प्रक्रिया अनोखी रही है। अदालतों में कार्यवाही का निश्चित रूप होता है लेकिन इस मामले में जो कुछ हुआ, वह सामान्य नहीं है।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात
नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।
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