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मुख्य समाचार

संसद में भ्रष्टाचार रोधी विधेयक पारित

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नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)| संसद ने मंगलवार को भ्रष्टाचार रोधी विधेयक पारित कर दिया। इस विधेयक में रिश्वत देने और लेने वालों के लिए दंड का प्रावधान है और साथ ही लोकसभा में अभियोजन पक्ष से लेकर सरकार के पूर्व अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई को मंजूरी दे दी गई है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के जवाब के बाद भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018 को निम्न सदन में पारित कर दिया गया। विधेयक को पिछले सप्ताह राज्यसभा ने पारित कर दिया था।

अपने जवाब में मंत्री ने कहा कि यह विधेयक उन अधिकरियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, जो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं।

उन्होंने कहा, हमने विधेयक में संशोधन किया है, जिससे ईमानदारी के साथ कार्य करने वाले अधिकारियों को न तो धमकाया जा सकेगा और न ही उनकी पहल को दबाया जा सकेगा।

सिंह ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून में भ्रष्टाचार के मामलों में शीध्र सुनवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा, हम किसी भी भ्रष्टाचार के मामले के लिए दो साल के भीतर फैसला देने के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे। मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाना और काम करने के लिए अच्छा माहौल सुनिश्चित करना है।

लोकपाल की नियुक्ति में देरी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, क्योंकि उसके पास लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपने नेता को चुनने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं।

विपक्ष का नेता लोकपाल चयन समिति का सदस्य होता है। सिंह ने कहा कि सरकार ने बैठकों में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को शामिल करने की मांग की थी, ताकि लोकपाल की नियुक्ति की जा सके।

बैठक में हिस्सा लेने वाले कई सदस्यों ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए चुनाव सुधारों की जरूरत पर जोर दिया।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर संशोधनों के माध्यम से भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम को हल्का करने का आरोप लगाया। उन्होंने रिश्वत देने वाले को दंडित करने के प्रावधान पर सरकार को घेरा।

विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ तीन से लेकर सात साल जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। इस विधेयक में रिश्वत देने वालों को पहली बार शामिल किया गया है और उनपर भी सात साल तक की जेल और जुर्माना या फिर दोनों लगाया जाएगा।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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