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सतर्कता अधिकारियों की नियुक्ति पर केंद्र को नोटिस

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के.वी.चौधरी और सतर्कता आयुक्त (वीसी) टी.एम.भसीन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। केंद्र में यह याचिका गैर-सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ ने दायर की है, जिसमें चौधरी और भसीन की नियुक्तियों को ‘संस्थागत शुचिता’ के सिद्धांत के विरुद्ध बताते हुए इन्हें पद से हटाने का अनुरोध किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने केंद्र सरकार के साथ-साथ चौधरी और भसीन को भी नोटिस जारी किया और उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। न्यायालय ने कॉमन कॉज को भी निर्देश दिया कि यदि उसके पास भी कोई अन्य दावा है तो उसे एक सप्ताह के भीतर पेश करे। कॉमन कॉज के वकील ने अदालत से केंद्र सरकार को उस बैठक का विवरण देने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया, जिसमें चौधरी और भसीन की नियुक्ति के बारे में फैसला लिया गया।

उन्होंने चौधरी और भसीन की नियुक्ति के लिए चयन समिति के समक्ष रखे गए दस्तावेजों की जानकारी भी मांगी। न्यायालय ने इन दस्तावेजों को हासिल करने के लिए कॉमन कॉज के वकील से उचित तरीके से अर्जी देने को कहा। कॉमन कॉज की ओर से दायर जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि चौधरी की सीवीसी के पद पर नियुक्ति से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से कई प्रतिनिधिमंडलों ने मिलकर यह विस्तार से बताया था कि क्यों चौधरी इतनी महत्वपूर्ण संस्था के प्रमुख होने के योग्य नहीं हैं।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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