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नेशनल

सर्वोच्च न्यायालय के सच्चे न्यायाधीशों का समर्थन करे देश : शिवसेना

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मुंबई, 15 जनवरी (आईएएनएस)| शिवसेना ने सोमवार को कहा कि राष्ट्र को सर्वोच्च न्यायालय के उन चार न्यायाधीशों का समर्थन करना चाहिए, जिन्होंने न्याय और राष्ट्रहित के पक्ष में अपनी आवाज उठाई है। शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों ने 12 जनवरी को आरोप लगाया था कि सर्वोच्च न्यायालय में सच्चाई और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर निशाना साधा था।

शिवसेना ने कहा है, इस मुद्दे ने एक खुली बहस छेड़ दी है कि कहीं प्रधान न्यायाधीश संवेदनशील राजनीतिक मामलों पर दबाव में तो नहीं होते और कहीं निष्पक्ष न्यायाधीशों को उन मामलों से दूर तो नहीं रखा जाता।

ये संवेदनशील मुद्दे क्या हैं, इन पर सवाल उठने लगे हैं और किसने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति एम.बी. लोकुर और न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर को ऐसा करने के लिए मजबूर किया।

पार्टी के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि चारों न्यायाधीशों के मीडिया के सामने आने के साथ ही शीर्ष अदालत का रहस्य उजागर हो गया है और अब सभी मुक्त होकर सांस ले सकते हैं।

अपने सहयोगी भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा है कि इस तरह की चीजें कांग्रेस नीत संप्रग शासनकाल के दौरान भी होती थीं, तब भाजपा और अन्य दल इस मुद्दे को बड़ी मुखरता से उठाया करते थे और लोकतंत्र व न्यायतंत्र के खतरे का रोना रोते थे।

सेना ने कहा है कि ऐसा डर है कि देश के सामने सच को उजागर करने के लिए अब उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

शिवसेना ने कहा, कल उन्हें कांग्रेस के एजेंट के तौर पर पेश किया जाएगा, उसके बाद उनकी बगावत के लिए विदेशी हाथ को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसके बाद उन्हें नक्सली और कुख्यात घोषित कर दिया जाएगा। कानून का शासन खत्म हो चुका है।

शिवसेना ने चिह्नित करते हुए कहा, लोग, जिन्होंने इंदिरा गांधी पर न्यायतंत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था, अब वे सत्ता में हैं और संवैधानिक पदों के विपरीत उनके कार्य जैसे यह कह रहे हैं कि इंदिरा गांधी एक ‘अत्यंत मानवीय और लोकतांत्रिक’ नेता थीं।

प्राचीन रोम और भारत के संदर्भ में न्याय प्रणाली का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि न्याय की देवी आंखों पर पट्टी बांधे रहती है और हाथों में तलावार लिए रहती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्याय करते वक्त यह नहीं देखा जाता कि उसके सामने कौन है।

पार्टी ने कहा है, लेकिन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा मीडिया के सामने आने के बाद यह संदेह पैदा हो गया है कि न्याय की देवी अक्सर फैसले देने से पहले राजनीतिक दल या नेता को देखने के लिए तांक-झांक करती है।

शिवसेना ने कहा है, सभी को न्याय दिलाने वाले न्यायाधीशों को कोई न्याय देने वाला नहीं है, इसलिए उन्होंने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया। यह एक साहसी कदम है और देश के हित में है और देश को उनके साथ खड़े होना चाहिए।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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