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प्रादेशिक

हरियाणा ने पृथक उच्च न्यायालय के लिए उठाई आवाज

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चंडीगढ़| पूर्वोत्तर के छोटे-छोटे राज्यों के पास भी अपना-अपना अलग उच्च न्यायालय होने का तर्क देते हुए हरियाणा ने अपने लिए भी पृथक उच्च न्यायालय की मांग कर डाली है।

गौरतलब है कि हरियाणा और पंजाब के लिए चंडीगढ़ में एक ही उच्च न्यायालय है। हरियाणा अब चंडीगढ़ में ही अपने लिए एक अलग उच्च न्यायालय की मांग कर रहा है। हरियाणा चाहता है कि दोनों राज्यों के मौजूदा संयुक्त उच्च न्यायालय को अलग-अलग कर दिया जाए और हरियाणा के लिए एक पृथक हरियाणा उच्च न्यायालय का गठन कर दिया जाए।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पृथक उच्च न्यायालय के लिए दावा मजबूत बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के सामने पूर्वोत्तर के राज्यों का संदर्भ देते हुए कहा, “वर्ष 2013 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा के लिए पृथक उच्च न्यायालय का गठन किया गया।”

उस समय तक मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा को गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सेवा प्राप्त थी।

अपने लिखित संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा, “गुवाहाटी उच्च न्यायालय के सामने लंबित कुल मामलों की संख्या 52,897 देखते हुए यह बंटवारा किया गया। लंबित मामलों में मेघालय के मामले केवल 812 थे, मणिपुर के 3,794 और त्रिपुरा के 6,393 मामले थे।”

खट्टर ने रेखांकित किया, “पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समने लंबित मामलों की संख्या 2,79,699 है जिनमें से हरियाणा के मामलों की संख्या 1,40,359 है, जो पंजाब के 1,24,575 मामलों से अधिक है।”

हरियाणा 2002 से ही पृथक उच्च न्यायालय की मांग करता आ रहा है और हरियाणा विधानसभा ने मार्च 2002 और दिसंबर 2005 में ध्वनिमत से इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया था। फिर भी केंद्र सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

अब हरियाणा चाहता है कि संबंधित अधिनियम में उचित संशोधन के लिए केंद्र सरकार एक उपयुक्त विधेयक लाए।

चंडीगढ़ स्थित हरियाणा और पंजाब के संयुक्त उच्च न्यायालय में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायाधीशों की संख्या कम (40 फीसदी) और पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायधीशों की अधिक (60 फीसदी) होने के कारण हरियाणा अब अलग उच्च न्यायालय की मांग को लेकर उग्र हो उठा है।

हरियाणा को 1966 में पंजाब से अलग कर दूसरा राज्य गठित करने के समय ही न्यायाधीशों के प्रतिनिधित्व पर 60:40 अनुपात पर सहमति बनी थी।

हरियाणा ने इस अनुपात को ‘भेदभावकारी’ करार दिया है और मौजूदा उच्च न्यायालय में समान प्रतिनिधित्व की मांग की है।

उत्तर प्रदेश

डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।

प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू

अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।

8 करोड़ की भव्य परियोजना

अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।

विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।

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