प्रादेशिक
हरियाणा में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं
चंडीगढ़| पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होने की अनिवार्यता पर शुक्रवार को रोक लगा दी। हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 11 अगस्त को हरियाणा पंचायत राज कानून 1994 में संशोधन कर नए नियमों का ऐलान किया था। सरकार ने कहा था कि अब राज्य में पंचायत चुनाव वही लड़ सकेंगे, जिनके पास न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होगी।
यही नहीं, कानून में बदलाव कर यह भी फैसला किया था कि पंचायत चुनाव वही लड़ सकेंगे जिनके घरों में शौचालय होंगे।
कानून में बदलाव कर यह भी व्यवस्था की गई थी कि जिन पर आपराधिक मामले चल रहे होंगे और जिन्होंने कर्ज नहीं चुकाए होंगे, उन्हें भी पंचायत चुनाव लड़ने का हक नहीं होगा।
सरकार के इन फैसलों के खिलाफ एक महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने इन फैसलों पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है।
सरकार ने कहा था कि सामान्य वर्ग के वही लोग पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे, जिन्होंने दसवीं कक्षा पास की होगी।
यह भी कहा गया था कि महिलाओं और अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों को प्रतिकूल स्थितियों से बचाने के लिए उनकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास रखा जाना प्रस्तावित है।
सरकार की तरफ से कहा गया था, “यह प्रस्ताव जन प्रतिनिधियों को अधिक जवाबदेह बनाने के मकसद से रखा गया है। ऐसे में वे अशिक्षा की आड़ नहीं ले सकेंगे। ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों में अपने खराब काम के लिए निर्वाचित प्रतिनिधि अशिक्षा की आड़ ले लेते हैं।”
सरकार ने कहा था, “अधिकांश निर्वाचित प्रतिनिधि अपनी इस कमजोरी की वजह से रिश्तेदारों, दोस्तों पर निर्भर हो जाते हैं जो इनकी इस कमजोरी का फायदा उठाते हैं।”
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, “सरकार के इन कदमों का मकसद पंचायत राज संस्थाओं में नेतृत्व और कामकाज की गुणवत्ता के स्तर को उन्नत करना है।”
संशोधन में कहा गया था कि 10 साल तक सजा वाले आपराधिक मामलों में जिन पर आरोप तय होंगे, वे भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
साथ ही, सहकारी संस्थाओं के कर्ज न चुकाने वालों, ग्रामीण बिजली बिल न भरने वालों और घरों में शौचालय न बना पाने वालों को भी पंचायत चुनाव लड़ने से रोका गया था।
IANS News
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल गुलाब चंद काटिया की तारीफ
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान वीरवार को मोहाली के डेराबस्सी के मुबारिकपुर में आयोजित जैन भगवती दीक्षा महोत्सव में शिरकत करने पहुंचे थे। यह कार्यक्रम जैन समुदाय की तरफ से आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मान ने कहा कि राज्य सरकार महान गुरुओं, संतों, ऋषियों, पैगंबरों और शहीदों के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए जनता के कल्याण और राज्य के विकास के लिए कार्य कर रही है। कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और उनकी पत्नी भी मौजूद रहीं।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के राज्यपाल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि पंजाब के गर्वनर गुलाब चंद काटिया ने जब से प्रदेश के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक का कार्यभार संभाला है, तब से प्रदेश में बहुत अच्छी तरह से सरकार चल रही है और चंडीगढ़ प्रशासन भी चल रहा है। राज्यपाल काफी तजुर्बे वाले इंसान हैं। इसलिए वह ‘ मेकर भी हैं और उनके पास बहुत अनुभव है। क्योंकि राज्यपाल महोदय केंद्र में मंत्री रहे हैं, राजस्थान की राजनीति में उनका लंबा अनुभव है, एमपी और एमएलए भी रहे हैं। सीएम मान ने कहा कि राज्यपाल के तजुर्बे का मुझे भी फायदा मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह विभिन्न प्रकार के फूलों की विविधता आंखों को सुखद अनुभव देती है, उसी तरह हर समाज में हर धर्म का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। प्रदेश सरकार इस महान उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है और राज्य में सामुदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
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