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मुख्य समाचार

हिमाचल : निवेशक सम्मेलन में 85000 करोड़ निवेश आकर्षित करने की कवायद

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 शिमला, 16 दिसम्बर (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश सरकार कांगड़ा के धर्मशाला में जून 2019 में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से 85000 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयासरत है।

 साथ ही, राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर भी सरकार की नजर है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक विस्तृत योजना को मंजूरी दे दी गई है।

ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट का आयोजन भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल प्रशिक्षण केन्द्र व एचपीसीए स्टेडियम में किया जाएगा।

धर्मशाला में मुख्य कार्यक्रम के अलावा, देश के प्रमुख व्यापार केंद्रों में छह राष्ट्रीय रोड शो के साथ-साथ राज्य के भीतर तीन अंतर्राष्ट्रीय रोड शो और पांच मिनी कॉन्क्लेव मुख्य आयोजन से पहले आयोजित किए जाएंगे। नई दिल्ली में राजदूतों का गोलमेज सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। बैठक में राष्ट्रीय भागीदारों के परामर्श से सटीक कार्यक्रमों, स्थानों, तिथियों और इन कार्यक्रमों की संख्या का निर्णय लिया जाएगा।

सभी निवेश योग्य प्रस्तावों को मुख्य रूप से आठ व्यापक क्षेत्रों में शामिल करने की कार्यनीति तैयार की गई है, जिनमें कृषि-व्यवसाय क्षेत्र, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मा, पर्यावरण और आतिथ्य क्षेत्र सहित पर्यटन और स्वास्थ्य देखभाल और आयुष सहित आयुर्वेद, बुनियादी ढांचे, परिवहन सहित लोक निर्माण विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कौशल विकास और शिक्षा और शहरी विकास आवास और रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल होंगे।

उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि वैश्विक निवेशकों की बैठक किसी एक विभाग तक ही सीमित नहीं है, लेकिन सभी विभागों की बैठक को सफल बनाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सार्थक भूमिका है। इसलिए विभागों को अपनी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भूमिका निर्धारित करना और इसे व्यवहारिक बनाना होगा और कार्यक्रम में योगदान के लिए विशेष रूप से उल्लिखित आठ क्षेत्रों में अपने दायित्वों को समझना होगा।

उन्होंने यह भी जोर दिया कि आठ क्षेत्रों में राज्य में संभावित निवेश के सभी मार्गों का विभाजन केवल व्यापक और सामान्य है और उसमें बदलाव या परिवर्तन की जरूरत है जिसकी निष्पादन सह निगरानी समिति समय-समय पर समीक्षा करेगी।

मंत्री ने सभी विभागों से कहा है कि वे अपनी विशिष्ट और समयबद्ध कार्य योजना तैयार करें और इसमें आवश्यक सुधार करें जो कि राज्य में निवेश की सुविधा के लिए और राज्य में व्यवसाय करने में और आसानी सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की दिशा में करने आवश्यक हैं।

उद्योग मंत्री ने कहा कि निवेशकों को ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकारी या निजी भूमि की उपलब्धता के बारे में निवेश योग्य परियोजनाओं की सूची तैयार करने और जानकारी के अलावा संभावित निवेश के लिए उप क्षेत्रों की पहचान के लिए कहा गया है। ऐसी परियोजनाओं के लिए नियामक अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया और प्रणाली का सरलीकरण किया जाएगा। यदि विभागों ने पहले से ही ऐसी कुछ परियोजनाओं की पहचान की है, तो उन्हें ऐसी परियोजनाओं के लिए बोलियां आमंत्रित करने के लिए प्रस्ताव लाना होगा।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों को अपने क्षेत्रों में निवेश की सुविधा के लिए और संभावित उद्यमियों के लिए उन्हें अधिक आकर्षक बनाने के लिए अपनी योजनाओं और प्रोत्साहनों की समीक्षा करनी होगी। धारा 118 के तहत परियोजनाओं में निवेश के लिए भूमि पट्टे के लिए अनुमति देने के लिए आवेदन संशोधित करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश काश्तकार व भू-सुधार अधिनियम, 1972 पर तेजी से कार्रवाई की जाएगी और अनावश्यक प्रक्रिया को समाप्त किया जाएगा। राजस्व विभाग को अधिक सुविधा, पारदर्शिता और बेहतर निगरानी के लिए प्रक्रिया को ऑनलाइन करने को कहा गया है।

उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य में एमएसएमई क्षेत्र के प्रचार के लिए एक अलग नीति तैयार की जाएगी। एकल खिड़की प्रणाली के तहत परियोजनाओं की स्वीकृति मांगने की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाएगा। सभी क्षेत्रों और विभागों के लिए निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए एक ऑनलाइन वेब पोर्टल मंच तैयार किया जाएगा। इन्वेस्ट इंडिया और अन्य राज्यों की व्यवस्था के आधार पर राज्य स्तरीय निवेश संवर्धन एजेंसी के सृजन का भी प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि निविदा आमंत्रित करने और एमओयू को अंतिम रूप देने और हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया सभी विभागों द्वारा तुरंत शुरू की जाएगी। उन्हें 10-11 जून, 2019 को धर्मशाला में एमओयू में प्रवेश करने या संभावित निवेशकों को परियोजनाएं देने के लिए मुख्य कार्यक्रम की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी, बल्कि सभी एमओयू और अन्य उद्यम जो संभावित उद्यमियों के साथ होने हैं, इन्हें विभिन्न क्षेत्रों और विभागों को दिए गए लक्ष्यों की उपलब्धियों में गिना जाएगा।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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