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उत्तर प्रदेश

बाढ़ की दृष्टि से 24 जिले हैं अतिसंवेदनशील, समय से पहले कर लें सारी तैयारी: मुख्यमंत्री योगी

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● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत जारी तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:-

● प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 07 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अंतरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इस वर्ष भी बेहतर कोऑर्डिनेशन, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए।

● प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं।

● अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध होना चाहिए। माननीय जल शक्ति मंत्री एवं दोनों राज्य मंत्री द्वारा अति संवेदनशील तथा संवेदनशील क्षेत्रों का भ्रमण करें, साथ ही बाढ़ बचाव से जुड़ी परियोजनाओं का निरीक्षण करें।

● मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार इस वर्ष पर्याप्त वर्षा होगी। नेपाल और उत्तराखंड की सीमा से लगे जनपदों में सतर्कता बनाए रखें। आमजन की सुविधा और राहत एवं बचाव कार्य के बेहतर बेहतर प्रबंधन के लिए बाढ़ बुलेटिन और मौसम का पूर्वानुमान नियमित रूप से जारी किया जाना चाहिए।

● भारतीय मौसम विभाग, केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एवं जल संसाधन, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत, पशुपालन, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। केंद्रीय एजेंसियों/विभागों से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आंकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए।

● नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों का चैनेलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहा है। अम्बेडकर, बलरामपुर, बाराबंकी, सीतापुर और श्रावस्ती में जारी ड्रेनेज एवं चैनेलाइजेशन की परियोजनाओं को समय से पूरा कराएं। जो सिल्ट निकले उसका सदुपयोग किया जाए।

● राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव मोड में रहें। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेतार केंद्र अधिष्ठापित किए गए हैं। पूरे मॉनसून अवधि में यह केंद्र हर समय एक्टिव रहें।

● बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर रेग्युलर मॉनीटरिंग की जाती रहे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी फ्लड यूनिट तथा आपदा प्रबंधन टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा मित्र स्वयंसेवकों के साथ-साथ होमगार्डों की सेवाएं भी ली जानी चाहिए। किसकी तैनाती कब और कहां होनी है, इस बारे में कार्ययोजना तैयार कर लें। सभी एजेंसियों के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन होना चाहिए।

● नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबंध समय से कर लें। बाढ़/अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। नौका बड़ी हो। छोटी नौका/डोंगी का प्रयोग कतई न हो। नौका सवार सभी लोग लाइफ जैकेट जरूर पहने हुए हों।

● बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य किट तैयार करके जिलों में पहुंचा दिया जाए। क्लोरीन टैबलेट, ओआरएस आदि की उपलब्धता होनी चाहिए। बुखार आदि की पर्याप्त दवा उपलब्ध हो। सर्प दंश की स्थिति में प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय मदद मिलनी चाहिए।

● बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां पशुओं की सुरक्षा के भी प्रबंध होने चाहिए। उचित होगा कि बाढ़ के समय पशुओं को अन्यत्र कहीं सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। निराश्रित गोआश्रय स्थलों में पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

● बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को ताजा भोजन दिया जाना चाहिए। अन्य राहत सामग्री की गुणवत्ता से भी कोई समझौता नहीं होना चाहिए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो।

● अतिवृष्टि के कारण जिस भी किसान की फसल खराब हो, बिना विलंब उसकी क्षतिपूर्ति कराई जाए। इसके अलावा, किसानों को मौसम पूर्वानुमान से अवगत कराते हुए खेती-किसानी के लिए अनुकूल परिस्थितियों के बारे में जागरूक करें।

● बरसात के कारण निर्माण परियोजनाओं पर होने वाले असर के दृष्टिगत पहले से आवश्यक प्रबंधन कर लिया जाना चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली के पोल, तार, सड़क आदि समय से ठीक कर लिए जाने चाहिए।

● बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वर्ष 2024 में बाढ़ से सुरक्षा के लिए समय से तैयारियां की गई हैं। अति संवेदनशील के रूप में चिन्हित 17 जनपदों के 37 तटबंधों का अनुरक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है। सभी अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी/सहायक अभियन्ता नामित किये जा चुके हैं। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत निगरानी भी की जा रही है।

● मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2023 में बाढ़ से प्रभावित अतिसंवेदनशील/संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर बाढ़ परियोजनाओं के द्वारा बाढ़ बचाव कार्य पूर्ण कर लिये गए हैं। प्रदेश में बाढ़ से निपटने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित स्टीयरिंग ग्रुप की बैठक 75 जनपदों में सम्पन्न हो गई है। इसके अलावा, बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेतार केन्द्रों की स्थापना हो चुकी है। बेतार केन्द्र सम्पूर्ण बाढ़ अवधि में सतत् क्रियाशील रहेंगे।

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उत्तर प्रदेश

श्रद्धालुओं को गौरव की अनुभूति दे रही महाकुम्भ की सजावट

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महाकुम्भ। प्रयागराज में सनातन धर्म के सबसे बड़े समागम महाकुम्भ 2025 को भव्य बनाने के लिए योगी सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। देश और दुनिया से करोड़ों श्रद्धालुओं का यहां पहंचना शुरू हो गया है और जो चीज उन्हें सबसे ज्यादा आकर्षित और गौरव की अनुभूति प्रदान कर रही है वो है यहां सी सजावट। महाकुम्भ के लिए पूरे प्रयागराज को विभिन्न माध्यमों से सजाया गया है। विभिन्न भाषाओं में साइनेजेस लगाए गए हैं, जबकि थीमैटिक लाइटिंग, फसाड लाइटिंग, स्तंभ, थीमैटिक इस्टॉलेशन समेत कलाकृतियों और म्यूरल पेंटिंग्स से शहर की सजावट की जा रही है। महाकुम्भ के दौरान त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे श्रद्धालुओं को यह सजावट एक यादगार अनुभव प्रदान कर रही है।

विभिन्न भाषाओं में सुविधाजनक साइनेजेस स्थापित

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरे प्रयागराज में बड़ी संख्या में साइनेजेस लगाए गए हैं, जो विभिन्न भाषाओं में हैं। इनमें सिटी एरिया में 610 तो मेला एरिया में 800 साइनेजेस लगाए जा रहे हैं। सिटी एरिया में साइनेज लगाने का काम पूरा हो चुका है, जबकि मेला एरिया में भी 90 प्रतिशत से ज्यादा साइनेज लगाए जा चुके हैं और तेजी से साइनेजेस लगाने का कार्य पूर्ण किया जा रहा है। यह साइनेजेस पीडब्ल्यूडी की ओर से लगाए जा रहे हैं। इनके माध्यम से समस्त भाषायी पर्यटक और श्रद्धालु अपने नियत स्थान पर पहुंचने में सक्षम हो रहे हैं।

सजावट में दिख रही संस्कृति की झलक

इसी तरह, शहर को सजाने के लिए विभिन्न कार्य पूरे हो रहे हैं। इसमें नगर निगम द्वारा थीमैटिक लाइटिंग के कार्य को पूरी गति से अंजाम दिया जा रहा है। पूरे शहर में कुल 3540 थीमैटिक लाइटिंग के पोल्स में से 95 प्रतिशत को लगा दिया गया है। बाकी कार्य भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसकी चमक लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। वहीं, पर्यटन विभाग द्वारा सभी 8 लोकेशंस पर फसाड लाइटिंग का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। इस फसाड लाइटिंग से धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थलों की आभा दोगुनी हो गई है। सीएंडडीएस द्वारा 84 स्थलों पर स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो 90 प्रतिशत से ज्यादा लग भी चुके हैं। यह स्तंभ सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं विभाग द्वारा सभी चार स्थलों पर थीमैटिक इंस्टॉलेशन का कार्य भी पूरा कर लिया गया है।

यादगार बन रहा अनुभव

मेला क्षेत्र को अद्भुत छवि देने के लिए प्रयासरत प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से भी विभिन्न सौंदर्यीकरण के कार्य कराए गए हैं। इसमें 15 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा एरिया में कलाकृतियां लगाई गई हैं। कलाकृतियों के साथ-साथ म्यूरल पेंटिंग की जिम्मेदारी भी मेला प्राधिकरण की है, जिसे प्राधिकरण सफलतापूर्वक संचालित कर रहा है। पूरे मेला क्षेत्र समेत अन्य प्रमुख स्थानों पर कुल 0.33 लाख स्क्वायर फीट में म्यूरल पेंटिंग का कार्य समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। इससे पूरे मेला क्षेत्र की आभा अलग ही दिखाई दे रही है, जो श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बना रही है।

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