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भारत के इन 6 रहस्यों को नहीं सुलझा पाया है आज तक कोई, विज्ञान भी टेक चुका है घुटने!

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नई दिल्ली। भारत देश में कई ऐसी चीजे हैं जिसे देखकर इंसान आश्चर्य चकित रह जाता है। यहां कई एसी चीजें हैं जो इंसान को अचंभित करने के साथ-साथ कई दफा भयभीत भी कर देती हैं। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद रहस्मयी हैं। इनका रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा सका है।

लटकते खम्भे का रहस्य – वीरभद्र मंदिर (आंध्र प्रदेश)
वीरभद्र मंदिर विजयनगर साम्राज्य के वास्तुशिल्प शैली का एक शानदार नमुना है और इसमें स्थित विशाल नंदी मूर्ति, फ्रेस्को पेंटिंग्स और नक्काशी जैसे आकर्षक फीचर्स के अलावा, इसके लटकते खंभे जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। कुल मिलाकर, मंदिर में 70 खंभे हैं। हालांकि, दूसरों के विपरीत, उनमें से एक जमीन के संपर्क में नहीं आता है। ऐसा माना जाता है कि खंभे के आशीर्वाद के लिए नीचे कुछ स्लाइड करके आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

तैरते पत्थरों का रहस्य: रामेश्वरम
हिंदू पौराणिक कथाओं में यह वर्णन है कि रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए, भगवान राम ने रामेश्वरम से एक फ्लोटिंग पुल का निर्माण पाक स्ट्रेट में श्रीलंका तक किया था। यह पुल राम सेतु या एडम ब्रिज के रूप में जाना जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र के आसपास पाए गए कुछ पत्थर सामान्य पत्थरों की उपस्थिति में होते हुए भी पानी में डालते समय तैरते हैं। इस तरह के फ्लोटिंग पत्थरों की घटना के पीछे कारण अभी तक विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किए जाने के बावजूद पहचाना नहीं जा सका है।

महाबलीपुरम की बेलेंसिंग चट्टान (तमिलनाडु)
लोगों का मानना है कि यह पत्थर भगवान कृष्ण का मक्खन का मटका था जो आसमान से गिरा है। अब यह महाबलीपुरम में एक विशाल चट्टान के रूप में ऐसी ढलान पर रखा है जिसे देखकर लोग चौंक जाते हैं। दरअसल, यह पत्थर एक तीव्र ढलान के किनारे पर रखा है। देखने पर लगता है कि यह पत्थर कभी भी लुढ़क सकता है। ये चट्टान लगभग 20 फीट ऊंची होने का अनुमान है। इसे देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। आगंतुक यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि इतनी विशाल चट्टान आखिर किस तरह ढलान पर स्थिर रह सकती है। बताते हैं कि 1908 में अंग्रेज हुकूमत ने डर के मारे इस चट्टान को यहां से हटाने का प्रयास किया था कि लेकिन प्रयास व्यर्थ हो गया। यह चट्टान अाज भी ऐसे ही रखी है। कोई नहीं जान पाया है कि आखिर इस कोण पर ये पत्थर कैसे स्थिर है।

निराश पक्षियों का रहस्य: जतिंगा (असम)
पूर्वोत्तर में असम के जातींगा गांव में मानसून बीत जाने के बाद एक ऐसा आवरण बनता है की स्थिति धुंध पड़ने के समान हो जाती है और इसी समय गांव एक अजीब घटना का साक्षी बनता है। दरअसल, यहां के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों में एक अजीब व्यवहार परिवर्तन देखने को मिलता है। घाटी के सारे परिंदे इस समय विचलित हो जाते हैं और रोशनी की ओर खींचे जाते हैं। लेकिन ये परिंदे इस घाटी से बाहर निकल ही नहीं पाते। थक-हारकर फिर ये जमीन पर उतर जाते हैं। अजीब बात यह है कि ये परिंदे फिर से उड़ान भरने की कोशिश नहीं करते। हालांकि, रहस्यमय रूप से, ऐसी घटना केवल जिंगा रिज की एक विशेष पट्टी पर देखी जाती है, न कि पूरी जगह।

जुड़वां बच्चों का स्थान – कोडिनी (केरला)
जुड़वां बच्चों की पैदाइश के मामले में यूं तो भारत सबसे पीछे है लेकिन केरला का एक गांव इस बात को गलत साबित कर रहा है। जी हां, ये भारत का एक अकेला ऐसा स्थान है जहां सबसे ज्यादा जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। मलप्पुरम जिले के कोडिनी इलाके में न जाने क्या अजीब बात है कि यहां आश्चर्यजनक रूप से जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। वास्तव में, यह कहा गया है कि गांव में जुड़वां लोगों के 200 से अधिक जोड़े हैं और इसमें ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिनकी माताओं का दूर-दूर के इलाकों से परिवारों में विवाह किया गया है। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि क्षेत्र के पानी में कुछ रसायनों की मौजूदगी से ऐसी घटना हो सकती है। हालांकि वास्तविक कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है।

भानगढ़ का किला (राजस्थान)
चाहे आपने आत्माओं की पूरी अवधारणा को बकवास समझ कर दिमाग से बाहर फेंक दिया हो, भानगढ़ का किला आपके विचार बदल सकता है। यह किला एक निर्जन क्षेत्र में स्थित है और यहां होने वाली संदिग्ध गतिविधियों के पीछे कई किंवदंतियां हैं। यह किला सुंदर वास्तुकला, हवेली, मंदिर, खंडहर, उद्यान से सज्जित है, और यात्रा के लिए सामान्य जनता के लिए भी खुला है। हालांकि, कई पर्यटकों ने स्वीकार किया है कि इसके वातावरण में एक कुछ संदिग्ध मौजूद है। कईयों ने तो इसमें सीधे आत्माओं की रहस्यमयी आहट सुनने की बात तक कही है। यह भी माना जाता है कि रात में इस जगह जो कोई गया वह कभी जिंदा वापस नहीं लौटा। यहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने चेतावनी बोर्ड भी लगाया है जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले भानगढ़ किले में जाना प्रतिबंधित है।

अन्य राज्य

सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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