उत्तराखंड
कोश्यारी ने निभाई बागियों से दोस्ती
देहरादून। आखिरकार कांग्रेस के बागी विधायकों ने भाजपा का दामन थाम ही लिया। इन बागियों को कांग्रेस में लाने के लिए मुख्य भूमिका पूर्व सीएम व मौजूदा सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने अदा की। कोश्यारी ने ही पार्टी के आलाकमान को यह बात समझायी कि इन नौ विधायकों में अगले वर्ष होने वाले चुनाव में जीत के आसार हैं। हालांकि भाजपा का एक बड़ा गुट इन विधायकों की पार्टी में एंट्री से खफा है। जसपुर में तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन भी किया।
खंडूड़ी, निशंक भी नहीं थे पक्ष में
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद बीसी खंडूड़ी और सांसद रमेश चंद्र पोखरियाल भी बागी कांग्रेसियों को पार्टी में लेने के लिए तैयार नहीं थे। इन दोनों नेताओं ने आपसी मतभेद होने के बावजूद इस मुद्दे पर एकसुर में बागी विधायकों को पार्टी में शामिल करने का विरोध किया। बताया जाता है कि इस विरोध में पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी बागी कांग्र्रेसियों का विरोध किया था। सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक विरोध हरक सिंह रावत के नाम पर था। हालांकि यह तर्क दिया गया कि हरक पहले ही भाजपाई थे। भाजपा से कांग्रेस में गये थे। विरोध में यह तर्क भी दिया गया कि हरक सिंह ने न सिर्फ राजनीतिक दलों में अदला-बदली की बल्कि अपने विस क्षेत्र को भी बार-बार बदला, क्योंकि वह जनाकांक्षाओं पर कभी भी खरे नहीं उतरे। इसी तरह से अन्य बागी विधायकों का भी विरोध किया गया।
भाजपा में इस बार होगी जबरदस्त बगावत !
पार्टी सूत्रों के अनुसार इस मामले में सतपाल महाराज को हाशिये पर ही रखा गया और उनकी नहीं सुनी गई। सतपाल महाराज इस पूरे प्रकरण में भाजपा में असफल नायक के रूप में उभरे। उनके खासमखास विधायकों जिनमें गणेश गोदियाल, राजेंद्र भंडारी, मंत्रीप्रसाद नैथानी भी शामिल हैं, ने महाराज को ऐन वक्त पर अंगूठा दिखा दिया और भाजपा में सतपाल महाराज की साख को बंटाधार कर दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार सतपाल महाराज की विधायक पत्नी अमृता रावत भी अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य करना तो दूर दर्शन देने भी यदा-कदा जाने के लिए बदनाम हैं। ऐसे में उनका भी भाजपा में विरोध हो रहा है। अमृता रावत भी हर चुनाव में विधानसभा क्षेत्र बदल देती हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों को पार्टी में शामिल करने के पीछे भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका रही है। उन्होंने पार्टी हाईकमान को यह तर्क दिया है कि सभी विधायक चुनाव जीतने का दम रखते हैं। सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों में से अधिकांश धनबल के आधार पर चुनाव जीत जाते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो भाजपा को दोबारा सत्ता में आने का स्वप्न नहीं देखना होगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा में इस बार पहले के मुकाबले कहीं अधिक बगावत होगी और इसका लाभ कांग्रेस को ही मिलेगा।
उत्तराखंड
केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद
देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।
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