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उत्तराखंड

भारत दर्शन के तहत आईपीएस प्रशिक्षु राज्यपाल से मिले

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भारत दर्शन, उत्तराखंड, अखिल भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी, राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल, मैजिक कैट

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भारत दर्शन, उत्तराखंड, अखिल भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी, राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल, मैजिक कैट

trainee IPS Officer

देहरादून। भारत दर्शन के अन्तर्गत उत्तराखंड पहुंचे अखिल भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने सफलता का महामंत्र देते हुए कहा कि मैजिक कैट (सीएटी) के जरिये कोई भी पुलिस अधिकारी जनता का विश्वास हासिल कर सकता है।

हैदराबाद स्थित नेशनल पुलिस अकादमी से आए प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों से राजभवन में मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी के पास मैजिक कैट का होना जरूरी है।

कैट का तात्पर्य है- ‘क्रेडिबिलिटी, एकाउंटेबिलिटी और ट्रान्सपेरेन्सी।’ इन तीनों जादुई विशेषताओं और गुणों के बल पर ही जनता का विश्वास हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास हासिल होने पर उनकी समस्याओं के समाधान की राहें आसान हो जाती हैं।

दिल्ली पुलिस के शीर्ष पद पर रह चुके पाल ने कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को हमेशा यह ध्यान में रखना चाहिए कि पुलिस, जनता की सेवा के लिए है, इसलिए पुलिस का उससे सीधा सम्बन्ध होना जरूरी है।

भारत दर्शन आई.पी.एस अधिकारियों के प्रशिक्षण का एक अहम हिस्सा है जिसके अन्तर्गत उन्हें समूह में अलग-अलग राज्यों में जाना होता है, ताकि वे उस प्रदेश की सामाजिक, भौगोलिक, राजनैतिक और अन्य परिस्थितियों से परिचित हो सकें। इन प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. सदानंद दाते भी मौजूद थे।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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