प्रादेशिक
मप्र : सालभर छाए रहे घोटालों के मुद्दे
भोपाल| मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगाातार शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में जीत और सफलता के कई कीर्तिमान बनाती जा रही है। लेकिन व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई घपलेबाजी के साथ सरकारी स्तर पर हुए दवा खरीदी घोटाले पर से वर्ष 2014 में उठे पर्दे ने शिवराज सरकार को कटघरे में भी खड़ा किया है।
राज्य में प्रशासनिक सेवा को छोड़कर होने वाली विभिन्न प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाएं व्यापमं द्वारा आयोजित की जाती हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) है।
राज्य के निवासियों की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए तैयार किए जाने वाले चिकित्सकों के लिए आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ है, वैसा न तो कभी सुना गया और न ही किसी ने कल्पना की थी। हाल यह है कि जो हाईस्कूल परीक्षा कई साल उत्तीर्ण नहीं कर सके, वे आज मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यहां कई चिकित्सक शैक्षिक क्षमता के आधार पर नहीं, आर्थिक क्षमता के बल पर बने हैं।
व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर), संविदा शिक्षक, परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा सहित अन्य कई परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आई है। सरकार ने मामले के तूल पकड़ने पर व्यापमं घोटाले की जांच के लिए विशेष कार्यदल (एसटीएफ) बनाया। कांग्रेस ने विधानसभा से लेकर सड़क तक उतर कर इस पूरे घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उच्च न्यायालय में एक पत्र याचिका के जरिए व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की, बाद में उनकी ओर से एक याचिका भी दायर की गई। इस पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच की मांग खारिज करते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) की देखरेख में एसटीएफ को जांच जारी रखने के निर्देश दिए।
व्यापमं घोटाले में भाजपा के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनन करोबारी व भाजपा नेता सुधीर शर्मा के अलावा कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना और व्यापमं से जुड़े कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, उनसे पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। दलालों और लेनदेन के बल पर चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिला लेने वाले सैकड़ों बच्चे और उनके पालक गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और वरिष्ठ नेता अजय सिंह इन घोटालों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका तर्क रहा है कि अगर इस प्रकरण की सीबीआई जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वहीं चौहान ने खुली चुनौती दी कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। अगर आरोप साबित हो जाएं तो वे कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं।
एक तरफ जहां व्यापमं की परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी का शोर रहा, वहीं राज्य में अमानक दवा खरीदी का खुलासा होने पर सरकार के सामने एक और बड़ी चुनौती आन खड़ी हुई।
सूचना के अधिकार के तहत यह बात सामने आई है कि राज्य में 147 ऐसी दवाओं की आपूर्ति हुई, जो अमानक स्तर की हैं। इस मामले के खुलासे के बाद सरकार बचाव की मुद्रा में रही और लगातार अमानक दवाओं की आपूर्ति न होने की बात कहती रही।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा यही कहते हैं कि बीते चार वर्षो में एक भी दवा अमानक नहीं पाई गई है, इस मामले में लगातार भ्रम फैलाया जाता रहा है ।
अमानक दवाओं के चलते सरकार की मुसीबत बढ़ने की बड़ी वजह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुआ नसबंदी कांड भी रहा है। जांच में पाया गया है कि जिन मरीजों की मौत हुई है, उन्हें अमानक दवा दी गई है। लिहाजा राज्य में अमानक दवाओं की आपूर्ति का खुलासा होने पर लोगों में दवाओं को लेकर अविश्वास की भावना बढ़ी है।
एक तरफ फर्जी चिकित्सकों सहित अन्य सेवाओं में अयोग्य लोगों की भर्ती और दूसरी तरफ अमानक दवाओं के मामलों ने सरकार को वह दंश दिए हैं, जिनसे चुनावी नतीजे भले ही प्रभावित न हो, मगर उसकी छवि पर आंच आ ही गई है।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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