Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

उत्तर प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी 3 दिवसीय हड़ताल पर

Published

on

उत्तर

Loading

उत्तर लखनऊ| उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनल तले राज्य के कर्मचारी और शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों के करीब 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं। हड़ताल से कई विभागों में कामकाज पर इसका व्यापक असर दिखाई दिया। परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के कर्मचारी काम पर नहीं आए। हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। दूर से आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया, “हड़ताल को प्रदेश के करीब 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों का समर्थन हासिल है। हड़ताल में 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं।”

उन्होंने बताया कि पिछली बार जब लक्ष्मण मेला मैदान में रैली का ऐलान किया गया था, तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने के बाद इस मुद्दे पर बात की जाएगी। आश्वासन मिलने के बाद तब हड़ताल समाप्त कर दी गई थी।

हरिकिशोर के मुताबिक, गत 13 जुलाई को जब परिषद ने मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया तब वर्तमान मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने दो प्रमुख मांगों को अगली कैबिनेट की बैठक में रखे जाने का भरोसा दिया था, लेकिन मुख्य सचिव अपना वादा पूरा नहीं कर पाए।

ज्ञात हो कि कर्मचारियों की जिन मांगों पर औपचारिक सहमति बन चुकी है, उनमें मुख्य तौर पर केंद्रीय कर्मचारियों के समान मकान का किराया भत्ता देना तथा पुरानी पेंशन नीति बहाल करना शामिल हैं।

उधर, सफाईकर्मी भी अपनी मांगों को लेकर इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश सफाई कर्मचारी संघ के नेता जगदीश वाल्मीकि ने बताया कि प्रदेश में करीब 65 हजार सफाई कर्मचारी हैं, जो इस हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सफाईकर्मियों की मांग है कि नगर विकास विभाग की ओर से जारी शासनादेश में संविदा सफाई कर्मचारी के पदों पर नियुक्ति के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था को निरस्त किया जाए और नियुक्ति की ठेका प्रणाली तत्काल बंद की जाए।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

Published

on

Loading

संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

Continue Reading

Trending