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नेशनल

बिम्सटेक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली राजनीति का विपरीत ध्रुव : सुषमा

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सुषमा स्वराजनई दिल्ली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कहा कि गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए बिम्सटेक राष्ट्रों को आमंत्रित करने की पहल सफल हुई है, क्योंकि वे राष्ट्र आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली एक देश की राजनीति के विपरीत ध्रुव का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुषमा ने यहां ब्रिक्स मीडिया फोरम के उद्घाटन के दौरान कहा, “बिम्सटेक के सदस्य राष्ट्र -भूटान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, श्रीलंका तथा थाईलैंड- आज की तारीख में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली राजनीति के खिलाफ विपरीत ध्रुव का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन देशों का ध्यान अपने लोगों का कौशल, जीवन की गुणवत्ता, शिक्षा, स्वास्थ्य व शासन की गुणवत्ता में सुधार तथा लोकतंत्र की जड़ें गहरी करने पर है।”

उन्होंने कहा कि ये ऐसे देश हैं, जो आपस में संपर्क, सहयोग व संबंध बढ़ाने में लगे हैं।

सुषमा ने कहा, “ब्रिक्स के साथ उनका परस्पर संबंध अपने आप में एक संदेश है। ब्रिक्स दुनिया के सकारात्मक दिशा की तरफ रुख करने का प्रदर्शक है और इसकी क्षेत्रीय अभिव्यक्ति बिम्सटेक जैसे समुदाय में है, जो एक समृद्ध संयुक्त भविष्य का प्रदर्शन करने में सक्षम है।”

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स की बैठकों में व्यापक राजनीतिक संदर्भ था और है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि एक गंभीर वैश्विक विचार-विमर्श एक संकीर्ण एजेंडे के साथ कुछ देशों तक सीमित नहीं हो सकता।

विदेश मंत्री ने कहा कि गोवा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने अपनी चर्चा के केंद्र व व्यापकता की उन्नति का प्रतिनिधित्व किया है।

उन्होंने कहा, “आतंकवाद की पहचान स्थिरता, प्रगति व विकास के मुख्य खतरे के रूप में की गई है। सम्मेलन के दौरान इसपर तथा इसके अंतिम परिणाम पर विस्तार से चर्चा की गई। सचमुच, जो भी हम कहते हैं वह न सिर्फ आतंकवाद से वैश्विक आर्थिक अपेक्षाओं को होने वाले खतरे को दर्शाता है, बल्कि यह सचमुच में वैश्विक चुनौती बन गई है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय केवल इसके खतरे पर ही नरअंदाज कर सकता है।”

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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