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उत्तराखंड

कांग्रेसियों ने किया सीएम हरीश रावत का पुतला दहन

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Kishore-Upadhyayउत्तराखंड | उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2017 के मद्देनज़र कांग्रेस के आलाकमान ने अपने अनोखे फैसले से कांग्रेस प्रत्याशियों में खलबली मचा दी है। कांग्रेस हाईकमान ने आदेश दिया है कि कांग्रेस उत्तराखण्ड में अपने कैंडीडेट्स का साथ देने के बजाय दूसरे प्रत्याशियों का समर्थन करेगी। प्रदेश अध्यक्ष‌ किशोर उपाध्याय ने इसकी जानकारी दी और अब इस पर कांग्रेस एक्शन लेते हुए अपने प्रत्याशियों से नामांकन पर्चा वापस लेने को कह सकती है।
उत्तराखंड की धनौल्टी विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस पार्टी और सरकार में सहयोगी पीडीएफ के कोटे से मंत्री प्रीतम सिंह पंवार आमने-सामने थे। कांग्रेस पार्टी प्रीतम सिंह को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाना चाहती थी लेकिन, प्रीतम ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद मसूरी नगरपालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल को कांग्रेस ने धनौल्टी से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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