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प्रधानमंत्री ने राजनीति का स्तर गिरा दिया है : मायावती

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायवाती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्मशान-कब्रिस्तान वाले बयान पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राजनीति का स्तर गिरा दिया है।

मायवाती ने प्रधानमंत्री पर गलत बयानबाजी का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या भाजपा शासित सभी राज्यों के सभी गांवों में शमशान घाट है? बसपा प्रमुख ने यहां मंगलवार को कहा कि मोदी को अहसास हो चुका है कि यूपी में भाजपा की सरकार नहीं बनने जा रही है, इसलिए वह गलत बयानी कर रहे हैं।

मायावती ने कहा, “मोदी जी यह क्यों नहीं बताते कि क्या भाजपा शासित राज्यों के सभी गांवों में श्मशान है? उन्हें पहले इन राज्यों में श्मशान बनवाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने राजनीति का स्तर गिरा दिया है और यह देश की राजनीति के लिए ठीक नहीं है।”

उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से प्रधानमंत्री गलत बयानबाजी कर रहे हैं। चुनाव में जाति और धर्म की बातें कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी पार्टी यहां चुनाव हार रही है।

मायावती ने राज्य में 300 सीटें जीतने का दावा करते हुए कहा, “हम 300 से ज्यादा सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। भाजपा तीसरे-चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रही है। भाजपा की कांग्रेस-सपा गठबंधन के साथ लड़ाई है।”

उन्होंने भाजपा को सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी बताते हुए आरोप लगाया कि वह चुनावों को सांप्रदायिक रंग देना चाह रही है। यह सांप्रदायिक और जातिवादी पार्टी है, जो सद्भाव में विश्वास नहीं रखती।

मायावती ने कहा, “भाजपा ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया, लेकिन ‘सबका साथ सबका विकास’ की रट लगाकर लोगों को गुमराह कर रही है, जबकि बसपा सभी धर्मों का सम्मान करती है। हमने कभी किसी के साथ कोई पक्षपात या भेदभाव नहीं किया।”

बसपा प्रमुख ने यह भी कहा, “हमारी सरकार के दौरान सभी धर्मो के पर्वो के दौरान बिजली, पानी और कानून-व्यवस्था की तगड़ी व्यवस्था रहती थी।”

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हरियाणा सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए उप-वर्गीकरण लागू किया

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण लागू किया है। हरियाणा विधानसभा में बोलते हुए, सीएम सैनी ने कहा, “विधानसभा सत्र में है और मुझे लगा कि सदन को इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए फैसले के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए, जिसे अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के संबंध में इस अधिसूचना के माध्यम से हमारे मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के वर्गीकरण के संबंध में आज लिया गया निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू होगा। और पांच बजे के बाद, आम जनता इसे मुख्य सचिव की वेबसाइट से देख सकती है।”

1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत के फैसले से फैसला सुनाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण अनुमेय है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए फैसले में, उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक ऐसे वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है जो कानून के उद्देश्य के लिए समान रूप से स्थित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी में पहचान करने वाले क्रीमी वकील की आवश्यकता पर विचार किया क्योंकि संविधान पीठ के सात में से चार न्यायाधीशों ने इन लोगों को सकारात्मक आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपना विचार व्यक्त किया था कि राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।

 

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