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अन्तर्राष्ट्रीय

‘भारत-अफगानिस्तान हवाई गलियारा नई दिल्ली की अड़ियल सोच का परिचायक’

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बीजिंग, 26 जून (आईएएनएस)| चीन के एक समाचार पत्र ने कहा है कि अफगानिस्तान के साथ हवाई गलियारे में पाकिस्तान को नजरअंदाज करना और बीजिंग की संपर्क परियोजना का विरोध करना भारत की ‘अड़ियल भूराजनीतिक सोच’ का परिचायक है।

समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक निबंध में सलाह देते हुए कहा है कि भारत को चीन के सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान के साथ आर्थिक तथा व्यापारिक संबंध विकसित करना चाहिए, जहां बीजिंग अरबों डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह भारत तथा अफगानिस्तान ने एक सीधे वाणिज्यिक हवाई मार्ग की शुरुआत की, जो पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरता है। आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों पड़ोसी देशों के संबंध भारी तनाव के दौर से गुजर रहे हैं।

पाकिस्तान, भारत तथा अफगानिस्तान के बीच स्थित है और इस्लामाबाद दोनों देशों के बीच कारोबार होने नहीं देता है।

ग्लोबल टाइम्स के संवाददाता वांग जियामेई ने लेख में लिखा, भारत तथा अफगानिस्तान ने पिछले सप्ताह एक हवाई माल ढुलाई गलियारा की शुरुआत की है, जो एक समर्पित मार्ग है, जिसे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। इससे एक सवाल उठ खड़ा हुआ है : क्या भारत अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिए पाकिस्तान तथा अन्य मध्य एशियाई देशों को नजरअंदाज करेगा?

उन्होंने लिखा, संपर्क का इस तरह का प्रयास न केवल क्षेत्रीय आर्थिक विकास में सक्रिय साझेदारी की भारत की इच्छा का संकेत देता है, बल्कि इसने उसके अड़ियल भूराजनीतिक सोच को भी उजागर किया है।

लेख के मुताबिक, भारत हमेशा से ही बेल्ट एंड रोड परियोजना से अपने कदम पीछे खींचता रहा है और अपना संपर्क नेटवर्क तैयार करने का इसका इरादा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खासकर पाकिस्तान को बराबर बल से संतुलित करने की एक रणनीति मालूम पड़ती है, जिसने भारत को अपने तनावग्रस्त संबंधों के चलते अपने क्षेत्र के माध्यम से किसी भी माल के परिवहन पर रोक लगा रखा है।

भारत सीपीईसी का विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजरता है, जिसपर भारत अपना दावा करता है।

परियोजना पर संप्रभुता के उल्लंघन का हवाला देते हुए भारत ने बीजिंग में आयोजित दो दिवसीय बेल्ट एंड रोड शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लेख में कहा गया है, भारत ने ईरान के चाबाहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भी एक परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान तथा मध्य एशियाई देशों तक सीधा परिवहन मार्ग तैयार करना है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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