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अन्तर्राष्ट्रीय

केन्या : चुनाव में मतदान प्रक्रिया शुरू

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नैरोबी, 8 अगस्त (आईएएनएस)| केन्या में मतदाता मंगलवार को नए राष्ट्रपति और संसद के चुनाव में मतदान कर रहे हैं। चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा और निवर्तमान राष्ट्रपति उहुरु केन्याता के बीच कड़ा मुकाबला है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सुबह छह बजे (स्थानीय समयानुसार) 40,000 से ज्यादा मतदान केंद्र खुल गए और यह शाम पांच बजे बंद हो जाएंगे।

मतदान के लिए कुल 1.9 करोड़ केन्याई नागरिक पंजीकृत हुए हैं।

चुनाव परिणाम मंगलवार देर रात तक आने की उम्मीद है। बुधवार शाम तक देश के अगले राष्ट्रपति के नाम की घोषणा होने की संभावना है, हालांकि निर्वाचन निकाय के पास आधिकारिक रूप से घोषणा करने के लिए सात दिन का समय होगा।

चौथी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे ओडिंगा (74) 2008 से 2013 तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

सीएनएन के अनुसार, ‘नेशनल सुपर अलायंस’ पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वह राष्ट्रपति पद के लिए आठ दावेदारों में से एक हैं।

जुबली अलायंस का नेतृत्व कर रहे और दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे 55 वर्षीय केन्याता देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति हैं। अगर वह चुनाव हार जाते हैं, तो भी इतिहास बनाएंगे क्योंकि वह इकलौते ऐसे पदस्थ केन्याई राष्ट्रपति होंगे जो पुनर्निर्वाचित नहीं हो सके ।

पिछली बार 2007 में हुए चुनाव में हिसंक घटनाओं में 1,100 लोगों की मौत हो गई थी और 600,000 अन्य विस्थापित हो गए थे।

बीबीसी के मुताबिक, मंगलवार को मतदान के पहले दिए भाषण में केन्याता ने नागरिकों से मतदान करने के फौरन बाद ‘वापस घर जाने का अनुरोध’ किया।

उन्होंेने कहा, अपने पड़ोसी के पास जाएं, चाहे वह कहीं से भी ताल्लुक रखते या रखतीं हों, किसी भी जनजाति, रंग या धर्म के हों..उनसे हाथ मिलाएं, साथ भोजन करें और उनसे कहें, चलो हम चुनाव परिणामों का इंतजार करते हैं।

चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट चाहिए और केन्या के 47 काउंटियों में से 24 काउंटी के कम से कम 25 प्रतिशत वोट चाहिए।

मतदाता सांसदों, सीनेटर, गर्वनर, काउंटी के अधिकारी और महिला प्रतिनिधियों का भी चुनाव कर रहे हैं। चुनावों में 14,000 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हैं।

उहुरु केन्याता के पिता जोमो केन्याता देश के पहले राष्ट्रपति (1964-78) रह चुके हैं, जबकि रैला ओडिंगा के पिता जारामोगी ओडिंगा उप राष्ट्रपति (1964-66) रह चुके हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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