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सुनंदा पुष्कर मामले में पुलिस 8 हफ्ते में दे सकती है अंतिम रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह 2014 के सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में आठ हफ्तों के भीतर अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर सकती है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर का शव दिल्ली के लीला होटल के एक कमरे में पाया गया था।

पुलिस ने न्यायमूर्ति जी. एस. सिस्तानी की अगुवाई वाली खंडपीठ को बताया कि वह मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद के लिए मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की एक नई पद्धति को अपनाएगी।

पुलिस ने कहा कि ये परीक्षण विदेश में किए जाते हैं और इसके जानकार देश में भी हैं। पुलिस ने कहा कि इस तरह की जांच पहले भी देश में तीन मामलों में की जा चुकी हैं।

पुलिस ने कहा कि इसमें कुछ लोगों से पूछताछ किए जाने की संभावना है और जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर वह अपनी अंतिम रिपोर्ट आठ हफ्तों के भीतर दाखिल कर सकती है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस से दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर करने को कहा और साथ ही याद दिलाया कि तीन साल का समय गुजर चुका है।

अदालत ने मामले को 26 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

अदालत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच अदालत की निगरानी में व सीबीआई की अगुवाई में बहुआयामी विशेष जांच दल द्वारा कराने की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

सुनंदा पुष्कर दिल्ली के होटल के एक कमरे में 17 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थीं।

स्वामी का दावा है कि पुष्कर की हत्या की गई क्योंकि उसके पास क्रिकेट से जुड़ी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़ी कुछ विशेष जानकारी थी।

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को मामले की आईपीएल कोण से जांच करनी चाहिए।

भाजपा नेता ने कहा कि अपनी मौत से कुछ दिनों पहले पुष्कर ने एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया था, ताकि एक गंभीर भ्रष्टाचार के मामले का पर्दाफाश किया जा सके।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पुलिस की तरफ से पेश होते हुए अदालत को पिछली सुनवाई में बताया था कि मामले में जुटाए गए नमूने को तीन बार ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भेजा गया और अधिकारियों को लैब रिपोर्ट के लिए अमेरिका भेजा गया और यह जांच अंतिम चरण में है।

स्वामी ने अदालत से कहा कि यदि जांच एजेंसियां इस निष्कर्ष पर पहुंचती हैं कि मौत जहर से हुई तो यह मायने नहीं रखता कि यह किस तरह का जहर था। उन्होंने खंडपीठ से विशेष जांच दल की जांच की निगरानी का आग्रह किया था।

हालांकि, इस पर अदालत ने कहा, हम जांच की निगरानी नहीं कर रहे हैं। हम जानना चाहते है कि पुलिस कहां तक मामले में पहुंची है।

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सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव

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नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।

केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।

नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।

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