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ग्रामीणों ने भिक्षुक के लिए बनाया पक्का मकान

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कोंडागांव, 30 सितंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। रोटी, कपड़ा, मकान हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता होती है। रोटी और कपड़ा तो आदमी किसी तरह जुटा ही लेता है, लेकिन एक पक्का मकान बनाने की क्षमता हर व्यक्ति में नहीं होती। कोंडागांव से 17 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा में भिक्षा मांगकर जीवन यापन करने वाले हीरानाथ सागर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी वह एक पक्के मकान का मालिक बनेगा।

वर्षो से पॉलिथीन लगी हुई जर्जर झोपड़ी में रहकर ठंड, गर्मी, बरसात को झेलना उसकी नियति बन चुकी थी। इसे देखकर ही ग्राम के ही कुछ जागरुक युवा पंचों ने पंचायत के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना सूची में उसका नाम दर्ज करवाकर उसके लिए पक्का मकान बनाने का जिम्मा उठाया, क्योंकि निराश्रित हीरानाथ सागर स्वयं सक्षम नहीं था कि वह नाम दर्ज कराने के बाद भी मकान निर्माण कराने की पहल कर सके।

इसके साथ ही पंचायत के तकनीकी सहायक वीरेंद्र साहू ने तुरत-फुरत मकान का ले-आउट तैयार करके घर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। इस कार्य में युवा पंच प्रकाश चुरगिया ने स्वयं के चार पहिया वाहन से मकान निर्माण सामग्री का वहन किया। इस एकजुटता का परिणाम यह हुआ कि, लगभग दो महीने में एक छोटा पक्के छत वाला मकान तैयार हो गया।

ग्राम की महिला शक्ति स्थानीय स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भी अपना योगदान देते हुए मकान के रंग-रोगन का कार्य किया और इस कार्य में जनपद पंचायत सीईओ दिगेश पटेल, करारोपण अधिकारी प्रमोद कुमार साव, सचिव महेश्वर कोर्राम, उप सरपंच आनंद पवार का भी योगदान रहा। वर्तमान में हीरानाथ सागर अपने नव निर्मित मकान में निवास कर रहा है और शासन की योजना की तारीफ करते हुए नहीं थकता।

बड़ेकनेरा के ग्रामीणों ने दिखाया कि आपसी सहभागिता और संवेदनशीलता से समाज के अंतिम छोर के व्यक्तियों को योजनाओं से किस प्रकार लाभान्वित किया जा सकता है और वास्तव में वे साधुवाद के हकदार भी हैं, जिन्होंने एक निराश्रित बेघर व्यक्ति की व्यथा को गहराई तक महसूस कर उसे छत मुहैया कराया।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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