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त्रिपुरा से चलेगी राजधानी एक्सप्रेस

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अगरतला/गुवाहाटी, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| असम के बाद राजधानी एक्सप्रेस शनिवार को पूर्वोत्तर के एक अन्य राज्य त्रिपुरा से अपनी सेवाएं शुरू करेगी। यहां एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। रेल राज्य मंत्री राजेन गोहैन त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन के बीच चलने वाली इस राजधानी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के एक अधिकारी ने कहा, राजधानी एक्सप्रेस ने कुछ खाली डिब्बों के साथ अगरतला और दक्षिणी असम के लुमडिंग के बीच परीक्षण सेवाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया।

उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने अभी तक नई दिल्ली और अगरतला के बीच चलने वाली इस रेलगाड़ी के किराए और यात्रा के कार्यक्रम का विवरण नहीं दिया है।

अधिकारी ने कहा, राजधानी एक्सप्रेस त्रिपुरा, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश के 16 स्टेशनों को कवर करते हुए अगरतला से आनंद विहार 40 घंटों में पहुंचेगी।

उद्घाटन समारोह में त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय दो राज्य मंत्री -पीडब्ल्यूडी और राजस्व मंत्री बादल चौधरी और परिवहन मंत्री माणिक डे- के साथ उपस्थित होंगे। माकपा के तीन सांसद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दिलीप दास और अन्य नेता भी इस समारोह में उपस्थित होंगे।

अगरतला, असम के गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ के बाद राजधानी एक्सप्रेस से जुड़ने वाला पूर्वोत्तर भारत का तीसरा शहर होगा।

दक्षिणी असम से होते हुए अगरतला तक मीटर गेज के विस्तार के साथ, स्वतंत्रता के बाद अक्टूबर 2008 में त्रिपुरा भारत के रेल मानचित्र पर आने वाला पूर्वोत्तर का पहला राज्य बना था। इसके बाद, मीटर गेज को ब्रॉड गेज में परिवर्तित किया गया।

एनएफआर अब रेल लाइनों को दक्षिणी त्रिपुरा के सीमावर्ती शहर सबरेम तक बढ़ा रही है, जोकि अगरतला से दक्षिण 135 किमी की दूरी पर है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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