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पिछड़ी जाति का छात्र एससी के फर्जी प्रमाण पत्र से बना डॉक्टर
भदोही, 11 नवम्बर (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के तहसील ज्ञानपुर में कर्मियों ने पिछड़ी जाति के अभ्यर्थी अमित कुमार का अनुसूचित जाति (एससी) का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। अभ्यर्थी इसका लाभ लेते हुए सीपीएमटी की परीक्षा उत्तीर्ण कर मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद से एमबीबीएस कर चिकित्सक बन गया। आरटीआई से खुलासा होने के बाद जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का निर्देश दिया।
तहसील क्षेत्र के इब्राहिमपुर गांव निवासी विजय बहादुर ने सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद से जानकारी मांगी थी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने अभ्यर्थी अमित कुमार के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई, जिसमें बताया गया कि इब्राहिमपुर निवासी अमित कुमार का प्रवेश अनुसूचित जाति के कोटे में हुआ है।
उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नवोदय विद्यालय के प्राचार्य द्वारा उपलब्ध कराए गए रिकॉर्ड में अमित कुमार का प्रवेश पिछड़ी जाति के कोटे में किया गया है। इसके साथ ही परिवार रजिस्टर सहित अन्य अभिलेखों में भी वह पिछड़ी जाति की श्रेणी में आता है। 23 मार्च, 2010 को ज्ञानपुर तहसील कर्मियों की मिलीभगत से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कराकर सीपीएमटी परीक्षा में शामिल होकर उसने एससी कोटे में प्रवेश करा लिया।
इस संबंध में जिलाधिकारी से शिकायत कर जालसाजी करने वाले कर्मियों और अभ्यर्थी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जारी प्रमाणपत्र को निरस्त करने की मांग की गई है।
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात
कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
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