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भाजपा झूठे सपनों से जनता को बहकाने में माहिर : अखिलेश

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लखनऊ, 25 नवम्बर (आईएएनएस/आईपीएन)। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव पहले चरण में जनता का भाजपा के प्रति आक्रोश और सपा के प्रति रुझान स्पष्टतया दिखाई पड़ा है। उन्होंने कहा कि भाजपा झूठे सपनों से जनता को बहकाने में माहिर है। नगर निकाय के दूसरे चरण का मतदान 26 नवम्बर को होना है। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने शनिवार को कहा, मतदाताओं में भाजपा के प्रति नाराजगी साफ दिख रही है। इसकी ठोस वजहें हैं। भाजपा ने वादा खिलाफी के नए रिकार्ड बना लिए हैं। झूठे सपनों से जनता को बहकाने की कला में वे पारंगत हैं, किंतु जनता भी अब जान गई है कि भाजपा का काम विकास करना नहीं, विकास के कामों में अवरोध खड़ा करना है। समाजवादी सरकार के विकास कार्यो के विरुद्ध दुष्प्रचार करना और उनके कामों पर अपनी दावेदारी दिखाना उनकी फितरत में है।

अखिलेश ने कहा, नगर निकाय चुनाव को अपने मनमाफिक प्रभावित करने के लिए सत्तारूढ़ दल सत्ता का पूरी तरह दुरुपयोग करने में लगा है। जनता को डराया, धमकाया और आतंकित किया जा रहा है। समाज में विभेद पैदा करने वाली बातों का प्रचार किया जा रहा है। पूरी राज्य सरकार महीनों से प्रचार कार्य में लगी है। एक बात यह समझ में नहीं आती कि जब भाजपा नेतृत्व को अपने कामों के भरोसे चुनाव जीतने में संदेह नहीं है तो फिर मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी इतनी कसरत क्यों कर रहे हैं? चुनाव मैदान में योगीजी और उनके साथी मैराथन दौड़ क्यों लगा रहे हैं?

सपा अध्यक्ष ने कहा, जनता ने भाजपा को सत्ता सौंपी थी कि वे प्रदेश की गरीबी, बीमारी, गंदगी, भुखमरी के खिलाफ योजनाएं बनाएंगे और शहरों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम करेंगे। किंतु काम करने के बजाय भाजपा सरकार ने आठ महीनों में सिर्फ जनहित की समाजवादी सरकार की योजनाओं को बंद करने या फिर उनको अपनी बताकर उद्घाटन का उद्घाटन करने का ही काम किया है।

उन्होंने कहा, समाजवादी सरकार ने बिजली, पानी, सड़क, सीवर और अन्य नागरिक सुविधाओं को उपलब्ध कराया है। समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी वादे पूरे करने के साथ नगरों का सुंदरीकरण भी किया है। अब तो प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हुई है। महिलाएं, बच्चियां असुरक्षित हैं।

अखिलेश ने मतदाताओं से अपील की है कि यही मौका है जब मतदाता विकास विरोधी, विघटनकारी भाजपा को सबक सिखाएं।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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