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नेशनल

हर चुनाव से पहले अभिव्यक्ति की आजादी के सवाल उठते हैं : ईरानी

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मुंबई, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को यहां कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और फिल्मों के साथ इससे संबंधित प्रश्न ज्यादातर पीआर स्टंट हैं और ऐसे विषयों को हर चुनाव से पहले उठाया जाता है। ईरानी शनिवार को ‘वी द वूमेन’ सम्मेलन में मौजूद थीं, जहां उन्होंने फिल्मकार करण जौहर और निर्माता एकता कपूर के साथ बातचीत की।

फिल्म निर्माताओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के बारे में एक उभरते फिल्म निर्माता ने उनसे प्रश्न पूछा।

जवाब में ईरानी ने कहा, मैं समझता हूं कि लोग हर चुनाव से पहले मुख्यधारा की मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठाते हैं। हम इस पर ध्यान नहीं देते कि क्या हम फिल्म के प्रचार का एक तत्व बन रहे हैं या नहीं। मुझे लगता है कि हमें इस पर भी आत्मविश्लेषण करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, मुझे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के मौजूदा प्रमुख प्रसून जोशी पर बहुत गर्व है। वह एक संवेदनशील और रचनात्मक व्यक्ति हैं। मेरा मानना है कि लोगों को यह समझना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक विचारधारा से आता हो, एक बार वह राष्ट्र सेवा में लग जाता है तो उसे उन कानूनों का पालन करना होता है, जिसका किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं होता है।

उन्होंने आगे कहा, उदाहरण के लिए, इस वर्ष रिलीज हुई सबसे बड़ी फिल्मों में से एक अरविंद केजरीवाल (दिल्ली के मुख्यमंत्री) पर आधारित थी। यह कांग्रेस सरकार के दौरान नहीं हुआ। यदि अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश होता तो यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हो पाती।

स्मृति ने कहा, सच्चाई यह है कि कोई भी इस बारे में बात नहीं करेगा, क्योंकि यह राजनीतिक आक्रोश का निर्माण नहीं करती या किसी का ध्यान आकर्षित नहीं करती है।

ईरानी प्रतिष्ठित टीवी शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि किसी फिल्म को विवाद में डालना और फिर अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल उठाना यह ज्यादातर एक पीआर हथकंडा है।

उन्होंने कहा, मनोरंजन उद्योग का सदस्य होने के नाते और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में होने के कारण मैं चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकती हूं। मुझे लगता है कि हम सभी जानते हैं कि पीआर किस तरह से काम करता है। प्रश्न यह है कि जब पीआर काम करता है तो क्या वे हमारी बुद्धि पर सवाल उठा रहे हैं?

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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