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प्रादेशिक

हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी की जरूरत

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नई दिल्ली| देश के हिंदी भाषी राज्यों को एक बार फिर से याद दिलाने की जरूरत है कि अंग्रेजी विश्व में सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली विदेशी भाषा है। भारत सरकार एवं सेवा कर के मामले में अदालतों द्वारा दिए गए एक फैसले के अनुसार अंग्रेजी अब हालांकि विदेशी भाषा नहीं रही।

विश्व के किसी भी देश की यात्रा करने एवं वहां के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने की बात हो या व्यावसायिक रूप से अधिक प्रभावी होने के लिए भी ‘स्पोकेन इंगलिश’ की क्षमता का काफी महत्व है। अंग्रेजी की जानकारी के बगैर अपने व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देना असंभव-सा है।

विश्व में विज्ञान की भाषा के रूप में अंग्रेजी स्थापित है। उदाहरण के लिए कम्प्यूटर एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मूलत: अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। शोध करते समय दुनिया के किसी भी विषय पर जानकारी एकत्र करने के लिए अंग्रेजी भाषा की जानकारी होना अत्यावश्यक है।

भारत सरकार के नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग द्वारा इसे हालांकि एक भाषा मात्र न मानकर ‘स्किल’ के रूप में मान्यता दी गई है।

मैं एक ऐसे राज्य बिहार में जन्मा हूं और अंग्रेजी शिक्षा को विस्तारित करने का प्रयास कर रहा हूं जहां चार दशकों से लोहियावादी विचारधारा के कारण छात्र 10वीं की परीक्षा अंग्रेजी ज्ञान के बगैर पास कर रहे हैं। वैसे, अब कुछ दिनों से बिहार की स्थिति भी बदली है और राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए अंग्रेजी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा है।

अभिभावकों एवं छात्रों के बीच किए गए कई सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि अब लोगों में अंग्रेजी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

वर्तमान में बिहार ने अंग्रेजी के महत्व को समझा है और किए गए प्रयास का लाभ भी मिलना शुरू हो चुका है और नौकरी बाजार में बिहार के युवा अब अधिक प्रभावी रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं तथा इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है।

कई वर्ष पहले जब हमने अपनी संस्था ‘ब्रिटिश लिंग्वा’ की स्थापना की थी, उस समय इस भाषा का महत्व इतना अधिक परिलक्षित नहीं होता था। परंतु समय के साथ-साथ बिहार के लोगों ने भी इसके महत्व को समझा और आज के समय में इसका लाभ उठा रहे हैं।

अंग्रेजी की जानकारी ने न केवल उन्हें रोजगार पाने लायक बनाया है, बल्कि उनकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर को भी एक स्तर प्रदान किया है। अगर आज बिहारियों की बिहार के बाहर छवि बदली है तो इसमें राज्य के उन युवाओं की भी बड़ी भूमिका है जो अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से पढ़े हैं और तकनीकी रूप से अधिक दक्ष हैं।

(बीरबल झा इन दिनों बिहार के महादलित समुदाय के युवाओं में ‘स्पोकेन इंग्लिश’ प्रशिक्षण योजना संचालित कर रहे हैं)

 

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।

श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था

संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती

महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।

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