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देश में ‘नदियां’ ला सकती हैं सियासी भूचाल!
भोपाल/नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)| देश के बड़े हिस्से में पानी एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे ने आम आदमी की जिंदगी पर असर डाला है। यही कारण है कि नदियां सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोगों से लेकर राजनेताओं के बीच एक गंभीर मुद्दा बनकर उभर रही हैं। आने वाले समय में ‘नदियांे’ के राजनीतिक मुददा बनने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता।
वर्तमान दौर में नदी पानी बटवारा मसले पर कर्नाटक-तामिलनाडु तो पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की राज्य सरकारों के बीच अरसे से विवाद जारी है। इस मुद्दे के साथ राजनीतिक दल आमने-सामने आते रहे हैं। इसके अलावा नदियों की अविरलता और उनमें बढ़ता प्रदूषण पर पर्यावरण प्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता चिंतित हैं।
इन दिनों सामाजिक कार्यकर्ता गंगा नदी की थमती रफ्तार, जगह-जगह मिलती गंदगी और पूर्व में किए गए वादों पर अमल नहीं होने से नाराज हैं और वे मंगलवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में गंगा पर चिंतन-मनन करने जा रहे हैं। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, जलपुरुष राजेंद्र सिंह से लेकर देश के तमाम पर्यावरण प्रेमी जमा होंगे और गंगा नदी को लेकर कोई बड़े आंदोलन की रणनीति का भी ऐलान कर सकते हैं।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने फोन पर आईएएनएस को बताया, गंगा हमारे देश की आस्था का केंद्र होने के साथ जीवन रेखा है, मगर दुर्भाग्य से आज देश की सबसे प्रदूषित नदियों में उसकी गिनती होने लगी है, गंगा की दुर्गति का मतलब है, हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रभावित होना। यही कारण है कि देशभर के पर्यावरण और गंगा प्रेमी दिल्ली में 16 जनवरी से गांधी शंति प्रतिष्ठान में जमा हो रहे हैं।
उनका कहा, गंगा में डॉल्फिन की संख्या कम हो रही है, तो दूसरी ओर उसमें मिलने वाली गंदगी की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में वर्तमान की केंद्र सरकार ने गंगा को लेकर तमाम वादे किए थे, मगर एक पर भी अमल नहीं हुआ। सरकार की इस वादा खिलाफी से असंतोष और बढ़ा है।
एक तरफ गंगा की दुर्गति, दूसरी ओर कई राज्यों में जल बंटवारे पर विवाद और मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी की खातिर निकलने वाली यात्राओं का दौर जारी है। यह सारे मसले आने वाले दिनों में सियासत को प्रभावित कर सकते हैं, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा की अविरलता, प्रदूषण मुक्त बनाने का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए छह माह की ‘नमामि देवी नर्मदा’ यात्रा निकली। चौहान की इस यात्रा के खत्म होने के बाद कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी पत्नी अमृता सिंह के साथ नर्मदा परिक्रमा पर निकल पड़े। सिंह की परिक्रमा को लगभग तीन माह का वक्त बीत चुका है।
वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का मानना है, जो भी यात्राएं निकल रही हैं, वह नदियों को बचाने के लिए नहीं बल्कि अपने राजनीतिक लाभ के लिए निकाली जा रही हैं। हमारे यहां राजनीति भावनाओं पर आधारित है, इसे सभी दल, नेता व सामाजिक कार्यकर्ता समझ चुके है, इसलिए अब नदियों के जरिए भावनाओं में उभार लाकर अपनी ताकत का अहसास कराना चाहते है। राममंदिर हो, हिंदुत्व की बात हो, राष्ट्रवाद हो या फिर नदियों का मामला, यह सभी पूरी तरह भावनात्मक उभार लाने के लिए है। नदियों की चिंता किसी को नहीं है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव लगातार शिवराज की यात्रा पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका आरोप है कि, अगर वास्तव में शिवराज नर्मदा भक्त हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में होने वाले अवैध खनन को रोकना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हुआ। इससे लगता है कि चौहान ने यात्रा नर्मदा के संरक्षण के लिए नहीं बल्कि खनन का सर्वे करने के लिए की थी।
वहीं भाजपा प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने आईएएनएस से कहा, शिवराज और दिग्विजय की यात्रा में बड़ा अंतर है, शिवराज ने राज्य की जीवन रेखा नर्मदा के संरक्षण, जनजागृति लाने के लिए यात्रा निकाली, करोड़ों पौधों का रोपण हुआ, वहीं दिग्विजय सिंह की यात्रा आध्यात्मिक है, अर्थात साफ है वे अपने पापों से मुक्ति चाहने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं।
इसके अलावा जगतगुरु जग्गी वासुदेव ने नदियों की रक्षा और संरक्षण को लेकर ‘रैली फॉर रिवर’ यात्रा निकाली। वे तमाम राज्यों की राजधानियों में जाकर मुख्यमंत्रियों से मिले और नदी संरक्षण के लिए पौधे लगाने पर जोर देते हुए कई स्थानों पर करारनामें भी किए।
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सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।
केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।
Minister @AshwiniVaishnaw replies to the questions asked by member @arungovil12 during #QuestionHour in #LokSabha regarding Laws to Check Vulgar Content on Social Media. @ombirlakota @loksabhaspeaker @LokSabhaSectt @MIB_India pic.twitter.com/xu6wEzGNy1
— SansadTV (@sansad_tv) November 27, 2024
नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।
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