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बिजनेस

जीएसटी संग्रह लगातार दूसरे महीने गिरकर 85174 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तरह राजस्व संग्रह में लगातार दूसरे महीने फरवरी में गिरावट दर्ज की गई है और यह 1,144 करोड़ रुपये घटकर 85,174 करोड़ रुपये रहा। जनवरी में भी जीएसटी संग्रह में गिरावट दर्ज की गई थी और यह 86,318 करोड़ रुपये रहा था, जबकि दिसंबर में कुल 86,703 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह किया गया था।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, जीएसटी के तहत प्राप्त कुल राजस्व 2018 के फरवरी (26 मार्च तक प्राप्त) में 85,174 करोड़ रुपये रहा।

बयान में कहा गया है कि फरवरी के लिए 25 मार्च तक कुल 59.51 लाख रुपये का रिटर्न दाखिल किया गया है।

बयान में कहा गया है, कुल 69 फीसदी करदाताओं को मासिक रिटर्न दाखिल करने की जरूरत होती है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी के तहत संग्रहित 85,174 करोड़ रुपये में से 14,945 करोड़ रुपये केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) के तहत, 20,456 करोड़ रुपये राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) के तहत, 42,456 करोड़ रुपये एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के तहत तथा 7,317 करोड़ रुपये मुआवजा सेस के तहत प्राप्त हुए।

बयान में कहा गया है कि 12,140 करोड़ रुपये को आईजीएसटी से सीजीएसटी खाते में और 13,424 करोड़ रुपये को आईजीएसटी से एसजीएसटी खाते में हस्तांतरित किए जाएंगे।

मंत्रालय ने कहा, इस प्रकार कुल 25,564 करोड़ रुपये की रकम को आईजीएसटी से सीजीएसटी और एसजीएसटी में निपटान के तरीके के तहत हस्तांतरित किया जाएगा।

पिछले साल जुलाई में जीएसटी संग्रह 95,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा था, जबकि अगस्त में यह 91,000 करोड़ रुपये से अधिक था।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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