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छग : नक्सलियों का जोनल प्रवक्ता अभय गिरफ्तार
जगदलपुर, 13 जून (आईएएनएस/वीएनएस)। बस्तर पुलिस को नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के प्रमुख सदस्य को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। बस्तर समेत नक्सल प्रभावित छह राज्यों में सक्रिय नक्सली संगठन के जोनल प्रवक्ता अभय को बस्तर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अभय को 31 मई को दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया था। बस्तर पुलिस उसे छत्तीसगढ़ लेकर पहुंची।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बस्तर रेंज विवेकानंद सिन्हा ने मंगलवार शाम इसका खुलासा करते हुए अभय को मीडिया के समक्ष पेश किया।
आईजी सिन्हा ने कहा कि अभय को 31 मई को दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा गया था, जब अभय विदेश से लौटकर आया था। दिल्ली पुलिस द्वारा उसे बस्तर लाया गया जिसके बाद उसे नक्सल कोर्ट में पेश कर दस दिनों की पुलिस हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की गई। अभय संगठन को मजबूत करने के लिए विदेशों का दौरा करता था और नक्सलियों के लिए कोष की व्यवस्था करता था। अभय को गिरफ्तार करने में बस्तर पुलिस को डेढ़ साल लग गए।
उन्होंने कहा कि बस्तर समेत नक्सल प्रभावित छह राज्यों में सक्रिय नक्सल संगठन का जोनल प्रवक्ता अभय उर्फ देवदास नायक उर्फ लोडडा (33) बेंगलुरू का रहने वाला है। पूछताछ में अभय से नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। वह फर्जी आईडी बनाकर नक्सली विचारधारा का प्रचार करता था।
उन्होंने कहा कि अभय कॉलेज के समय से ही नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर नक्सलियों के संगठन में काम करने लगा था। नक्सलियों की केंद्रीय समिति ने अभय की दक्षता को देखते हुए उसे शहरी नेटवर्क से जोड़ दिया। अभय सोशल मीडिया पर ‘नक्सल रिवोलुशन डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम’ के माध्य्म से नक्सलियों का प्रचार-प्रसार और पुलिस के खिलाफ भड़काऊ लेख पोस्ट करता था। वह युवाओं को नक्सली संगठनों से जुड़ने के लिए प्रेरित करता था। अपनी पहचान छुपाने के लिए अभय कभी मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करता था। संगठन के लोगों से बात करने के लिए स्काइप या फिर इंटरनेट कॉलिंग का प्रयोग करता था।
अभय नक्सली संघटन को मजबूत करने के लिए लक्जमबर्ग, बेल्जियम, पेरिस, नीदरलैंड, यूके, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, इक्वाडोर, बोलीविया, कम्बोडिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, रशिया, नेपाल सहित 15 अन्य देशों की यात्रा कर चुका है।
आईजी सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ के दरभा इलाके के भडरी मऊ में नक्सलियों ने पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी लगाया गया था। मौके से दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता अभय का जारी पर्चा बरामद किया गया था। इसी दौरान अभय से जुड़े महत्वपूर्ण सुराग मिले थे। एसआईबी की गहन पड़ताल करने पर पता चला कि अभय को प्रतिबंधित नक्सल संगठन ने प्रोपेंगडा सेल का प्रमुख बनाया था।
डीआइजी दक्षिण बस्तर रेंज आरएल डांगी व एसपी बस्तर डी श्रवण ने प्रेसवार्ता में कहा कि अभय माओवादी सेंट्रल कमेटी का सदस्य है। मुख्य रूप से अभय की सक्रियता छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में रही है लेकिन उसके नक्सल प्रभावित राज्यों बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में भी सक्रिय रहने की जानकारी मिली है। इन राज्यों से भी संपर्क कर जानकारी जुटाई जा रही है।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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