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जो चुनी हुई सरकार को नकार रहे, वे जनता की कभी न सुनेंगे : गोपाल राय

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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)| दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने मोदी सरकार पर दिल्ली की निर्वाचित सरकार की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र में ऐसा शासन है, जो कभी भी आम जनता की नहीं सुनेगा।

उन्होंने मौजूदा हालात को ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया।

राय ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, जो निर्वाचित मुख्यमंत्री की नहीं सुन रहे हैं, वह कभी भी आम आदमी की नहीं सुनेंगे। यह तानाशाही की शुरुआत और लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास है। हमारी लड़ाई संविधान को बचाने की है। यह एक अघोषित आपातकाल है।

संयुक्त विपक्ष का हिस्सा बनने की संभावना पर टिप्पणी से बचते हुए राय ने कहा कि तानाशाही के खिलाफ सभी राजनीतिक दल एक साथ खड़े होंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ बीते सोमवार से ही राज निवास में धरने पर बैठे राय ने फोन पर आईएएनएस से कहा, यह गठबंधन का मामला नहीं, बल्कि तानाशाही का मामला है।

राय ने कहा, ऐसा पहली दफा हुआ है, जब एक निर्वाचित सरकार असहाय हो गई है। हम उन लोगों के लिए काम करना चाहते हैं जिन्होंने हमें चुना है, लेकिन आईएएस अधिकारियों की हड़ताल के कारण हम ऐसा कर पा रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि वे अपनी हड़ताल को स्वीकार नहीं कर हैं और काम भी नहीं कर रहे हैं। दरअसल वे केंद्र सरकार के दबाव में ऐसा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, मानसून आ रहा है। हमें नालों से गाद निकालने, डेंगू की रोकथाम और अन्य कार्य करने हैं लेकिन सभी कार्य ठप्प पड़े हैं। यह इनकी किस तरह की सोच है..ये दिल्ली के लोगों से भाजपा को वोट न देने का बदला ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले तीन महीने में नौ दफा उपराज्यपाल अनिल बैजल से संपर्क किया, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया और अब अधिकारियों का सहयोग जारी है।

केजरीवाल ने केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार द्वारा गरीबों को उनके घरों पर राशन पहुंचाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की भी मांग की है।

दिल्ली सरकार ने आईएएस अधिकारियों पर पिछले तीन महीनों से अघोषित हड़ताल करने का आरोप लगाया। यह हड़ताल केजरीवाल की मौजूदगी में आप के दो विधायकों द्वारा प्रधान सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के बाद शुरू हुई है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि आईएएस अधिकारी भाजपा के दबाव में अघोषित हड़ताल किए हुए हैं और उन्हें इसके लिए उपराज्यपाल से शह मिल रहा है।

आईएएस अधिकारियों के रुख पर टिप्पणी करते हुए राय ने कहा, अगर वे भाजपा से इतना डरे हुए हैं, तो वे काम कैसे करेंगे?

उन्होंने कहा, जब कोई सड़क पर चलता है तो वहां भी डर होता है। हम डर के कारण सड़क पर चलना तो नहीं छोड़ देते।

राय ने कहा, दरअसल मुख्य मुद्दा यह है कि कुछ अधिकारी हमारे साथ काम करना चाहते हैं और हमारे साथ खुश हैं। उन्हें भी हमारी बैठकों में शामिल नहीं होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। केंद्र और उपराज्यपाल अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। यह हड़ताल उनके द्वारा नियोजित की हुई है।

दिल्ली के चार मंत्रियों को लोगों से मुलाकात की इजाजत नहीं दी गई है। जो भी उनसे मिलने के लिए बैजल के कार्यालय पहुंचने को कोशिश कर रहे हैं उन्हें इजाजत नहीं दी जा रही।

राय ने कहा, मंत्रियों के निजी कर्मियों को भी राज निवास से दूर रखा गया है। यहां तक कि कैदियों को भी उनके लोगों से मिलने की इजाजत दी जाती है लेकिन हमें नहीं दी गई।

राय ने आगे कहा, हम (केजरीवाल और मैं) मुख्यमंत्री के घर का खाना खा रहे हैं लेकिन जैन व सिसोदिया भूख हड़ताल पर हैं। आम लोग उपराज्यपाल कार्यालय के प्रवेश द्वार पर हमारे लिए खाना और जरूरी सामान छोड़कर जा रहे हैं, जहां से सुरक्षाकर्मी वह सामान हमारे पास तक पहुंचा रहे हैं।

उन्होंने कहा, हमें आशा है कि वह (उपराज्यपाल) हमारी मांगों से सहमत होंगे। हमने उनसे अपना समय लेने को कहा, जब तक हम यहीं उनका इंतजार करेंगे। लेकिन वह हमारी उपस्थिति को भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

यह जिक्र करने पर कि आप सरकार पर अपनी विफलता को छिपाने के लिए प्रदर्शन करने का आरोप लगाया जा रहा है, राय ने कहा, सभी दलों ने चुनाव लड़ा है, कितनी बार आपने देखा है कि एक मुख्यमंत्री अपनी विफलता को छिपाने के लिए हड़ताल पर बैठा है?

उन्होंने कहा, कितनी बार आपने कैबिनेट मंत्रियों को अपने द्वारा नहीं किए गए कार्यो को छिपाने के लिए भूख हड़ताल करते हुए देखा है। हम इसलिए यहां हैं, क्योंकि हमें काम नहीं करने दिया जा रहा है। हम काम करना चाहते हैं लेकिन हमारे हाथ में शक्तियां नहीं हैं।

राय ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि हम राज निवास में आराम से समय काट रहे हैं।

उन्होंने कहा, केवल हम जानते हैं कि यह कितना आरामदायक है। हम रात में बारी बारी से सो रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि लोग कैसे सोच सकते हैं कि सोफे पर सोना कितना आरामदायक हो सकता है। यह दिल्ली के लोगों के लिए हमारा समर्पण है। हम कष्ट झेलेंगे दिल्ली के लोगों के लिए केंद्र सरकार से लड़ेंगे।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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